मोहाली की कंपनी से महिला ने 33 लाख रुपये खरीदा फ्लैट, प्रीमियम एसर्स इंफ्राटेक ने नहीं दिया कंपलीशन सर्टिफिकेट, देना होगा हर्जाना
प्रीमियम एसर्स इंफ्राटेक के खिलाफ हरियाणा के करनालकी सीमा अरोड़ा ने शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने साल 2011 में कंपनी के प्राजेक्ट कंट्री यार्ड टीडीआइ सिटी मोहाली में फ्लैट लिए 3356900 रुपये की राशि दी थी। लेकिन कंपनी ने प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद भी उन्हें कम्पलीशन सर्टिफिकेट नहीं दिया।
चंडीगढ़, जेएनएन। उपभोक्ता से 33,56,900 रुपये की राशि लेने के बाद भी उसे कम्पलीशन सर्टिफिकेट न देने पर, डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन चंडीगढ़ ने मोहाली के सेक्टर-110-111 स्थित प्रीमियम एसर्स इंफ्राटेक कंपनी को 12 फीसद प्रति वर्ष ब्याज दर के साथ पूरी राशि वापस करने का आदेश दिया है। कमीशन ने कंपनी पर उपभोक्ता को मानसिक रूप से परेशान करने पर 50 हजार रुपये और केस खर्च के लिए 50 हजार रुपये देने का आदेश दिया है।
प्रीमियम एसर्स इंफ्राटेक के खिलाफ हरियाणा के करनाल जिले की रहने वाली सीमा अरोड़ा ने शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने साल 2011 में कंपनी के प्राजेक्ट कंट्री यार्ड, टीडीआइ सिटी मोहाली में फ्लैट लेने के लिए 33,56,900 रुपये की राशि दी थी। लेकिन वर्ष 2015 में प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद भी कंपनी ने उन्हें कम्पलीशन सर्टिफिकेट नहीं दिया था।
2014 तक कंपनी ने नहीं दिया था फ्लैट का पजेशन
कंपनी काे जब 33 लाख रुपये से अधिक की राशि दी गई तो कंपनी की तरफ से कहा गया था कि 24 महीनों में उन्हें फ्लैट का पजेशन दे दिया जाएगा। लेकिन 2014 तक कंपनी की ओर से पजेशन देने के बारे में कोई बात नहीं की। जिसके बाद उन्होंने कंपनी से संपर्क कर पजेशन देने के लिए कहा तो कंपनी इसके लिए भी टाल मटोल करती रही। वर्ष 2019 तक कंपनी की ओर से पजेशन नहीं दिया गया।
फ्लैट की तय राशि में किया तीन लाख का इजाफा
सीमा ने कमीशन में दी शिकायत में बताया कि उन्होंने 2011 में 33,56,900 रुपये में 1440 स्क्वेयर फिट का फ्लैट का सौदा किया था। लेकिन कंपनी ने बाद में पजेशन देने के लिए उसमें तीन लाख रुपये ओर जोड़ दिए। कंपनी ने उनसे 36,76,300 रुपये की मांग की, जिसका उन्होंने किया तो कंपनी ने पजेशन देने से इंकार कर दिया। जिसके बाद उन्हाेंने वर्ष 2019 में कमीशन में कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई।
कंपनी का जवाब शिकायतकर्ता ने नहीं दी 33 लाख रुपये की राशि
सीमा की शिकायत पर कमीशन ने कंपनी को जवाब दायर करने के लिए नोटिस भेजा। जवाब में कंपनी की ओर से कहा गया कि शिकायतकर्ता ने उन्हें 33 लाख रुपये की राशि नहीं दी है और न ही उन्होंने अतिरिक्त राशि की डिमांड की थी। लेकिन सीमा ने कमीशन के सामने लेन-देन के सभी दस्तावेजों को दिखाया जिसके बाद कमीशनने मामले में सुनावई करते हुए फैसला सुनाया है।