बिना धुंए वाली फॉगिंग से होगा मच्छरों का खात्मा, विभाग अपनाएगा यह तरीका
अब आप बेफिक्र होकर बाहर भी निकल पाएंगे और आपके मोहल्ले में मच्छरों का खात्मा भी होगा। इसके लिए मलेरिया विभाग ने विशेष प्लानिंग की है।
चंडीगढ़, [वीणा तिवारी]। क्या जब आपके मोहल्ले में फॉगिंग होती है, तब उसके धुंए से बचने के लिए आप घंटों घर से बाहर नहीं निकलते। अगर हां, तो अब आप बेफिक्र होकर बाहर भी निकल पाएंगे और आपके मोहल्ले में मच्छरों का खात्मा भी होगा। इसके लिए मलेरिया विभाग ने विशेष प्लानिंग की है। प्लानिंग के तहत अब फॉगिंग के लिए कीटनाशक के साथ डीजल की बजाय पानी का प्रयोग किया जाएगा। पानी के प्रयोग से न तो धुंआ निकलेगा न लोगों को परेशानी होगी, पर मच्छरों का आतंक जरूर कम होगा।
विभाग ने एक्वाकैआर्थिन में डीजल की जगह पानी का प्रयोग करने की तैयारी की है। विभाग का मानना है कि डीजल वाली फॉगिंग से प्रदूषण का खतरा रहता है। इसलिए पानी का प्रयोग किया जाएगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पानी मिलाकर की गई फॉगिंग भी उतनी ही असरदार होगी। जितनी डीजल वाली होती है। बस लोगों के मन से यह बात निकालनी होगा कि बिना धुंए की फॉगिंग से कोई फायदा नहीं होता। फिर नहीं होगा धुंआ इस तकनीक से किए गए फॉगिंग का लोगों को पता भी नहीं चलेगा।
बगैर धुंआ के हुए इस फॉगिंग का मच्छरों पर उतना ही असर होगा। जितना डीजल मिलाने फॉगिंग से होती है। फॉगिंग की तकनीक मच्छरों को मारने के लिए प्रयोग में लाई जाती है। इसमें पानी या डीजल में कीटनाशक को मिलाकर स्प्रे किया जाता है। डीजल वाली फॉगिंग में बहुत धुंआ निकलता है। जबकि पानी मिला होने के कारण धुंआ निकले बगैर फॉगिंग हो जाती हे। आमतौर पर फॉगिंग के लिए पायरोथ्रोइड्स का उपयोग किया जाता है। लेकिन मौजूदा समय में अलग-अलग कंपनियों के कीटनाशक बाजार में उपलब्ध हैं।
इसलिए खतरनाक है डीजल
डीजल से निकलने वाले प्रदूषक अन्य के मुकाबले ज्यादा खतरनाक होते हैं। इसके प्रयोग से जानलेवा कण और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड निकलता है, जो दमा, ब्रोंकाइटिस, दिल के दौरे और बच्चों में विकास संबंधी समस्याओं के कारण बनते हैं। इसके अलावा, डीजल में मौजूद सल्फर नामक धातु सल्फर डाइऑक्साइड का निर्माण करता है जो नाक, गले और सांस की नली में दिक्कत पैदा करता है। इससे खांसी, छींक और सांस की समस्या पैदा होती है। डॉक्टरों का कहना है कि इसके प्रयोग से त्वचा संबंधी बीमारी भी होने का खतरा रहता है।
20 मई के बाद इस्तेमाल होगी तकनीक
प्रदूषण पर काबू के लिए यह फॉर्मूला यूज करने की योजना बनाई गई है। 20 मई के बाद इस तकनीक की मदद से एक्वाकैआर्थिन में डीजल की जगह पानी मिलाकर फॉ¨गग कराई जाएगी।
-उपिंदरजीत, एडीएम मलेरिया।
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