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चंडीगढ़ निगम के कर्मचारियों से Smart Watch वापस लेना आसान नहीं, निगम को होगा करोड़ों का नुकसान

भाजपा के पार्षद सफाई कर्मचारियों को खुश करने के लिए स्मार्ट वॉच का प्रोजेक्ट खारिज करना चाहते हैं। इसलिए ही कमेटी का गठन किया गया था कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। रिपोर्ट सदन की बैठक में चर्चा के लिए लाई जा रही है जबकि अधिकारी इसके खिलाफ हैं।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Mon, 26 Apr 2021 11:22 AM (IST)Updated: Mon, 26 Apr 2021 11:22 AM (IST)
चंडीगढ़ निगम के कर्मचारियों से Smart Watch वापस लेना आसान नहीं, निगम को होगा करोड़ों का नुकसान
चंडीगढ़ निगम के कर्मचारियों से Smart Watch वापस लेना आसान नहीं, निगम को होगा करोड़ों का नुकसान।

चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ नगर निगम की 28 अप्रैल को सदन की बैठक होगी। बैठक में निगम कर्मचारियों को दी गई स्मार्ट वॉच का मुद्दा गरमाएगा। यदि बैठक यह निर्णय लिया कि कर्मचारियों से स्मार्ट वॉच वापस ले ली जाए तो इसके बदले नगर निगम को स्मार्ट वॉच की सप्लाई करने वाली कंपनी को तीन करोड़ रुपये की राशि का भुगतान करना होगा। क्योंकि यह समझौता पहले ही नगर निगम और वॉच को चलाने वाली कंपनी के बीच हुआ है। ऐसे में इस प्रोजेक्ट को खारिज करने पर नगर निगम को भारी नुकसान होगा।

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इस समय भाजपा के पार्षद सफाई कर्मचारियों को खुश करने के लिए स्मार्ट वॉच का प्रोजेक्ट खारिज करना चाहते हैं। इसलिए ही कमेटी का गठन किया गया था कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। रिपोर्ट सदन की बैठक में चर्चा के लिए लाई जा रही है, जबकि अधिकारी इसके खिलाफ हैं। अधिकारी नहीं चाहते कि स्मार्ट घड़ियां कर्मचारियों से वापस ली जाए। प्रति घड़ी की कीमत आठ हजार रुपये है। इस समय नगर निगम इन घड़ियों का हर माह 18 लाख रुपये के किराया दे रहा है। वहीं, सफाई कर्मचारियों ने घड़ी पहनने से मना कर दिया है। सफाई कर्मचारी यूनियन ने धमकी दी है कि अगर घड़ियां वापस न ली गई तो वह फिर से हड़ताल करेंगे।      

पार्षदों ने कहा इतना खर्चा करना वाजिब नहीं

नगर निगम के पार्षद चाहते हैं कि जो नगर निगम के कर्मचारियों को कारगुजारी बेहतर करने के लिए स्मार्ट घड़ियां दी गई हैं इन घड़ियों को वापस ले लिया जाए। सदन की बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। पिछले साल स्मार्ट घड़ियों पर सवाल उठने के बाद जिस कमेटी का गठन किया गया था उस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कमेटी की रिपोर्ट इस सदन की बैठक में सौंपी जाएगी।

कमेटी ने रिपोर्ट में यह कहा

इस रिपोर्ट में अधिकारियों ने तर्क दिया है कि स्मार्ट घड़ियां नहीं उतारी जानी चाहिए। इससे कर्मचारियों की कारगुजारी बढ़ रही है और नगर निगम को फायदा है। जबकि कमेटी के पार्षद सदस्यों ने कहा कि नगर निगम में वित्तीय संकट है और इससे हर माह 18 लाख रुपये का बोझ किराये का भुगतान करने से बढ़ रहा है। कमेटी के सदस्य एवं पूर्व मेयर राजेश कालिया का कहना है कि कमेटी ने कई बैठक कर अपनी रिपोर्ट दे दी है, जिसमें कहा गया है कि घड़ियों का कोई ज्यादा फायदा नहीं है। जितना किराया हर माह दिया जा रहा है इससे 150 अतिरिक्त कर्मचारी रखे जा सकते हैं। घड़ियाें की लोकेशन भी गलत आ रही है।

कर्मचारी बोले- घड़ी पहनने से आती है बंधक मजदूर की भावना

सफाई कर्मचारी यूनियन का मानना है कि घड़ियां पहनने से बंधक मजदूर की भावना आती है। साथ ही, स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है। इस मुद्दे को लेकर सफाई कर्मचारी यूनियन ने हड़ताल भी की थी। अधिकारियों का यह भी मानना है कि अगर यह प्रोजेक्ट खारिज किया जाता है तो कंपनी को तीन करोड़ से ज्यादा की राशि लौटानी पड़ेगी। हर घड़ी की कीमत आठ हजार रुपये है। इस समय नगर निगम इन घड़ियों का हर माह 18 लाख रुपये किराया दे रहा है। घड़ी में स्पीकर और माइक्रोफोन भी हैं। एसओएस नंबर इस घड़ी में पहले से स्टोर है। एसओएस बटन के जरिए संबंधित ऑफिसर उससे संपर्क कर सकता है। एसओएस की काल रिकाॅर्ड नहीं होगी।


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