कहां हैं जालंधर में बरामद 12 लाख ट्रामाडोल टेबलेट, हाई कोर्ट ने सीबीआइ को दिए मामले के जांच के आदेश
पंजाब के जालंधर स्थित भोगपुर क्षेत्र में 12 लाख ट्रामाडोल टेबलेट की खेप पकड़ी गई थी। हाई कोर्ट ने पंजाब पुलिस की ओर से एनडीपीएस मामलों की जांच पर सवाल उठाए हैं। मामले की जांच सीबीआइ को करने को कहा गया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब पुलिस की ओर से एनडीपीएस मामलों को लेकर की जा रही जांच पर हाई कोर्ट ने बड़ा सवाल उठाया है। हाई कोर्ट ने जालंधर के थाना भोगपुर के अधीन पकड़ी गईं 12 लाख ट्रामाडोल टेबलेट्स के मामले में दर्ज की गई एफआइआर में एनडीपीसी एक्ट न लगाने पर इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी है। मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी और हाई कोर्ट ने सीबीआइ को इसी दिन जांच की स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश भी दिए हैं।
आदेश में कहा गया है कि जब्त की गई ट्रामाडोल टेबलेट के बैच नंबर मिलाए जाएं। इसके साथ ही कहा है कि सीबीआइ यह भी देखे कि कहीं जब्त की गई इस सामग्री से किसी दूसरे को तो नहीं फंसाया गया है। अगर इसमें कोई अधिकारी शामिल हो तो उसकी भी जांच की जाए। दरअसल यह मामला ड्रग्स केस में फंसे एक आरोपित की ओर से हाई कोर्ट में लगाई गई जमानत याचिका की सुनवाई के समय उठा।
मामले की सुनवाई के दौरान एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया गया था कि पंजाब में लोगों को नशे के फर्जी केस में फंसाया जा रहा है। हाई कोर्ट को बताया गया कि भोगपुर पुलिस स्टेशन में साल 2019 में 12 लाख ट्रामाडोल जब्त की गई थीं। इसे लेकर ड्रग्स और कास्मेटिक एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज की गई थी। इस मामले को लेकर हाई कोर्ट ने जब जवाब तलब किया तो ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन और ज्वाइंट कमिश्नर (ड्रग्स) की ओर से दिए गए हलफनामों में यह बताया ही नहीं गया कि यह 12 लाख ट्रामाडोल टेबलेट इस समय कहां हैं और इनके बैच नंबर की जानकारी भी नहीं थी।
हाई कोर्ट ने कहा कि यह न केवल बहुत बड़ी लापरवाही है बल्कि इस मामले में पंजाब पुलिस और ड्रग कंट्रोलर ने कुछ किया ही नहीं। यह सामान्य मामला नहीं है और इससे यह साफ हो जाता है कि पंजाब में एनडीपीएस मामलों की जांच को सामान्य तरीके से नहीं की जा रही। यही कारण है कि कई लोगों को फर्जी तरीके से इन मामलों में फंसाए जाने के मामले भी सामने आए हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि दिन प्रतिदिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें ड्रग्स पकड़ी जा रही है, परंतु यह कहां से आ रही हैं और स्रोत क्या है, इसका पता नहीं चल पा रहा है। इसके कारण कई आरोपी बरी हो गए हैं। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट में पहुंचने वाले ऐसे मामलों में औसतन 10 में से आठ मामले पंजाब के होते हैं।