देश पर आई मुसीबत तो वॉर फंड में दे दिए अपने तीनों ओलंपिक गोल्ड मेडल
साल 1962, अक्टूबर के महीने में एक शख्स पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के अॉफिस में उनसे मिलने आया और ओलंपिक में जीते तीनों मेडल वार फंड के लिए दे दिए।
चंडीगढ़ [विकास शर्मा]। देश की सीमाओं पर युद्ध चल रहा था और देश की आन-बान और शान दांव पर लगी थी। अपने ताज को बचाने के लिए हर कोई आहुति डाल रहा था। लोग दिल खोलकर इंडो चाइना वार फेयर फंड दे रहे थे। साल 1962, अक्टूबर के महीने में एक शख्स पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के अॉफिस में उनसे मिलने आया। उस शख्स ने अपना नाम बलबीर सिंह सीनियर बताया, यह नाम सबके लिए परिचित था। इसीलिए प्रताप सिंह कैरों ने उन्हें तुरंत अंदर लाने को कहा।
जैसे ही बलबीर सिंह सीनियर शख्स अंदर आए तो उन्होंने मुख्यमंत्री से युद्ध के बाबत चिंता व्यक्त की और इंडो चाइना वार फेयर फंड में अपने तीन ओलंपिक (लंदन-1948, हेलसिंकी-1952, मेलबोर्न-1956) के मेडल देने की बात कही। यह सुनकर तत्कालीन मुख्यमंत्री काफी हैरान हुए। उन्होंने बलबीर सिंह सीनियर से कहा कि आप अपनी बचत से थोड़ी बहुत रकम दे दें, यह मेडल देश का सम्मान हैं यह अनमोल हैं, लेकिन बलबीर सिंह ने कहा कि मेरे चार बच्चे हैं उनकी पढ़ाई खर्च के बाद मेरा घर का गुजारा बड़ी मुश्किल से चलता है, इसीलिए मेरे पास देश को देने के लिए कुछ नहीं और मैं घर से ही सोचकर इन्हें फंड में देने के लिए आया हूं।
बलबीर सिंह सीनियर की यह जिद्द देखकर मुख्यमंत्री ने उनसे मेडल ले लिए और उन्हें जाने को कहा। बलबीर सिंह सीनियर के जाने बाद कैरों ने अपने मीडिया एडवाइजर को यह तीनों मेडल दे दिए और उन्हें वॉर फेयर फंड में भेजने के बजाय अपने पास रखने को कह दिया। कैरों के अॉफिस में कार्यरत बीएन बाली ने उस समय का यह आंखों देखा हाल 26 जनवरी के मौके पर बयां किया।
भावुक होते हुए बीएन बाली ने बताया कि उस दिन बलबीर सिंह सीनियर के देशप्रेम को देख वह सन्न रह गए, उन्हें भी महसूस होने लगा कि उन्हें देश के लिए कुछ करना चाहिए। उन्होंने कुछ दिन बाद सीएम अॉफिस की नौकरी छोड़कर सेना ज्वाइन कर ली। बाली ने बताया कि जब देश में हालात सामान्य हो गए तो कैरों ने बलबीर सिंह सीनियर को बुलाकर उनके मेडल उन्हें वापस दिए और उनसे गुजारिश की कि वह भविष्य में ऐसा दोबारा नहीं करेंगे, क्योंकि यह मेडल देश का गौरव हैं।
बेटी सुशबीर कौर ने बताया कि जब पंजाब यूनिवर्सिटी के फिजिकल एजुकेशन और स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट में बलबीर सिंह सीनियर की चेयर स्थापित की गई थी उसी कार्यक्रम में रिटायर्ड कर्नल बीएन बाली भी विशेष तौर पर पहुंचे थे। इसी दौरान उन्होंने यह सारी घटना हमें सुनाई, इससे पहले हमें यह घटना मालूम थी, लेकिन यह घटना किन हालात में और कैसे हुई थी इसकी जानकारी नहीं थी। सुशबीर ने बताया कि बीएन बाली ने इतना ही नहीं उस दौरान कि खींची गई फोटो भी परिवार को भेंट स्वरूप दी। यह फोटो सच में हमारे लिए अनमोल है।