चंडीगढ़ पीयू में वेबिनार का किया आयोजन, गुरु गोबिंद सिंह के परिवार के त्याग का भारतीय इतिहास पर महत्व बताया
चंडीगढ में पंजाब यूनिवर्सिटी के हॉस्टल नंबर 6 में छोटे साहिबजादों के शहीदी दिवस पर एक खास वेबीनार कराया गया। वेबिनार में गुरु गोबिंद सिंह और उनके परिवार के बलिदान का भारतीय इतिहास में महत्व विषय पर जानकारी दी गई।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब यूनिवर्सिटी के हॉस्टल नंबर 6 में छोटे साहिबजादों के शहीदी दिवस पर एक खास वेबीनार कराया गया। वेबिनार में 'गुरु गोबिंद सिंह और उनके परिवार के बलिदान का भारतीय इतिहास में महत्व' विषय पर जानकारी राष्ट्रीय सिख संगत के ऑल इंडिया एग्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट गुरबचन सिंह मोखा ने दी। सूबा सरहिन्द के दबाव और कई तरह के लालच देने के बावजूद जोरावर सिंह और फतिह सिंह ने धर्म परिवर्तन करने से मना कर दिया था।
लगातार तीन दिन तक चल रहे इस वेबिनार के बाद दोनों साहिबजादे दीवार में चुनवा दिए गए थे। उनके दोनों भाई साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा जुझार सिंह जंग में शहीद हुए। उससे पहले उनके दादा और सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए शहीदी दी थी। इन सभी घटनाओं का जिक्र करते हुए मोखा ने गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार के बलिदान और उसके भारतीय इतिहास पर प्रभाव को बताया। उन्होंने बताया कि धर्म में सबसे महत्वपूर्ण है इंसानियत का धर्म। श्री गुरु ग्रंथ साहिब और गीता दोनों ही कर्म पर जोर देते हैं। उन्होंने हिंदू और सिख धर्म का उदाहरण देते हुए कहा कि सभी धर्मों का संदेश सिर्फ इंसानियत है।
रिसर्च स्कॉलर मोनिका ने चीफ स्पीकर को इंट्रोड्यूस कराया वार्डन डॉ मनीषा शर्मा ने मोखाजी और सभी का धन्यवाद किया और कहा कि हमें अपने बच्चों को अपने गौरवमई इतिहास को अवश्य ही पढ़ाना चाहिए और गुरु परिवार की बलिदानी का सदैव कृतज्ञ रहना चाहिए। डॉ. मनीषा ने कहा कि को गुरु गोबिंद सिंह ने इस बलिदान को हस्ते हस्ते दिया था। बच्चों को देश को पर न्योछावर करने की उन्होंने एक मिसाल रखी थी, जो आज भी पूजनीय है।
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