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Punjab Municipal Election 2021: गठबंधन टूटने के बाद वाेटर ने शिअद और भाजपा को दिखाया आइना

Punjab Municipal Election 2021 पंजाब के स्‍थानीय निकाय चुनाव में मतदाताओं ने शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी को बड़ा सबक दिया है। पंजाब के मतदाताओं ने गठबंधन टूटने के बाद दोनों पार्टियाें को आइना दिखाया है।

By Sunil kumar jhaEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2021 12:02 PM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2021 12:02 PM (IST)
Punjab Municipal Election 2021: गठबंधन टूटने के बाद वाेटर ने शिअद और भाजपा को दिखाया आइना
पंजाब भाजपा के अध्‍यक्ष अश्विनी शर्मा और शिअद अध्‍यक्ष सुखबीर सिंह बादल। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। शिरोमणि अकाली दल व भाजपा ने तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी निकाय चुनाव में अपना दम तो दिखाया लेकिन दोनों पार्टियों का टूटा हुआ गठबंधन ने इस बात के साफ संकेत दे दिए कि एकजुटता के बगैर कांग्रेस का मुकाबला करना 2022 में आसान नहीं रहेगा। वहीं, इतिहास ने एक बार फिर खुद को दोहराया। 2015 में जो सत्ता में रहते हुए जो स्थिति अकाली दल और भाजपा की थी। वहीं, स्थिति 2021 में सत्तारूढ़ कांग्रेस की रही। निकाय चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने 294 सीटें लेकर यह साबित कर दिया कि वह अभी भी राज्य में नंबर दो की पार्टी है। जबकि गठबंधन टूटने के बाद भाजपा चौथे स्थान पर खिसक गई। भाजपा को मात्र 49 सीटें ही मिल पाई।

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बठिंडा, कपूरथला और अबोहर में भाजपा का नहीं खुला खाता, बठिंडा में होता था भाजपा का मेयर

निकाय के चुनाव के आए परिणाम इस बात के साफ संकेत दे रहे है कि अकाली दल और भाजपा का गठबंधन टूटने से इसका सीधा लाभ सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को मिला है। पठानकोट, होशियारपुर, बठिंडा नगर निगमों में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा अलग-अलग होने के कारण कांग्रेस का खासा दबदबा रहा। ब¨ठडा में तो भाजपा अपना खाता तक नहीं खोल पाई। जबकि बठिंडा में भाजपा का ही मेयर होता था।

अबोहर नगर निगम में भी कमोवेश यही स्थिति रही। यहां पर अकाली दल मात्र एक सीट ही जीत सकी। जबकि भाजपा का खाता तक नहीं खुला। बाकी की 49 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा। निकाय चुनाव के परिणाम आने के बाद शायद दोनों ही राजनीतिक पार्टियां गठबंधन टूटने के बाद की स्थिति को लेकर जरूर समीक्षा करेगी। यही कारण है कि कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने कहना शुरू कर दिया है कि दोनों पार्टियों का फिर से गठबंधन हो सकता है।

वहीं, 2015 में 348 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा भले ही 2021 में 49 सीटों पर सिमट कर रह गई हो लेकिन पार्टी के लिए यह सुखद पहलू है कि वह पहली बार पूरे पंजाब में अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी। वहीं, पार्टी कृषि कानून को लेकर किसानों समेत किसान समर्थित लोगों के सीधे निशाने पर थी। मोहाली में तो भाजपा के प्रत्याशी मतदान से तीन दिन पहले ही आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे।

यही नहीं किसान समर्थकों ने भाजपा के समागमों पर भी जम कर हमला किया था। तमाम विपरीत परिस्थिति के बावजूद भाजपा चार नगर निगमों में खाता खोलने में कामयाब रही। वहीं, भाजपा के लिए दुखद पहली यह है कि बठिंडा, कपूरथला और अबोहर में वह खाता तक नहीं खोल पाई। वहीं, 20 में से 13 ए क्लास नगर परिषद और 39 बी क्लास नगर परिषदों में से 34 में अपना खाता नहीं खोल पाई।

इसके विपरीत ए क्लास में 5 और बी क्लास की 14 नगर परिषदों में अकाली दल खाता नहीं खोल पाई। जबकि 23 सी क्लास की परिषदों में भाजपा का कहीं पर भी कोई खाता नहीं खुला तो अकाली दल केवल चार में अपना खाता नहीं खोल पाई। निकाय चुनाव परिणाम दोनों ही पर्टियों के लिए आइना साबित होंगे।

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