Move to Jagran APP

मंत्रियों और अफसरों के पेट्रोल-डीजल के बिलों में वीएमएस की नजर, गड़बड़ी पकड़ेगा

पंजाब सरकार ने मंत्रियों, विधायकों और अफसरों के बढ़ते पेट्रोल और डीजल के खर्च पर नियंत्रण के लिए नया तरीका ईजाद किया है। इस पर अब वीएमएस से नजर रखी जाएगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 02 May 2018 09:17 AM (IST)Updated: Wed, 02 May 2018 08:42 PM (IST)
मंत्रियों और अफसरों के पेट्रोल-डीजल के बिलों में वीएमएस की नजर, गड़बड़ी पकड़ेगा
मंत्रियों और अफसरों के पेट्रोल-डीजल के बिलों में वीएमएस की नजर, गड़बड़ी पकड़ेगा

चंडीगढ़, [इंद्रप्रीत सिंह]। सरकारी गाडिय़ों से होने वाली तेल चोरी पर लगाम लगाने का रास्ता सरकार ने खोज लिया है। सरकार को अक्सर ऐसी शिकायतें मिलती रहती हैं कि ड्राइवर सरकारी डीजल बेचकर व मैकेनिकों के साथ मिलकर गड़बड़ी करते हैं। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। अब मुख्यमंत्री से लेकर अंडर सेक्रेटरी तक की उन्हीं कारों के बिल पास होंगे, जो व्हीकल मैनेजमेंट सिस्टम (वीएमएस) के जरिए अपने बिलों की मांग करेंगे।

loksabha election banner

सभी विभागीय सचिवों को साफ कर दिया गया है कि जिन गाडिय़ों का बिल वीएमएस के जरिए नहीं भेजा जाएगा, उसका भुगतान नहीं होगा। यही नहीं इन गाडिय़ों के रखरखाव के पैसे भी अब उन्हें नहीं मिलेंगे, जो वीएमएस में अपनी गाडिय़ों की जानकारी नहीं देंगे।

व्हीकल मैनेजमेंट सिस्टम पर देनी होगी जानकारी,वीएमएस पर जानकारी देने के बाद ही पास हो पाएगा बिल

सरकार ने डीजल-पेट्रोल के बढ़ रहे खर्च को कंट्रोल करने के लिए वित्त विभाग ने एक नया सॉफ्टवेयर तैयार करवाया है। व्हीकल मैनेजमेंट सिस्टम नाम के इस सॉफ्टवेयर में पूरे प्रदेश की सभी सरकारी गाडिय़ों की जानकारी देनी होगी। मसलन, गाड़ी संबंधित विभाग या संबंधित अफसर के पास कब से है, कौन सी है, मॉडल क्या है? इसकी आखिरी सर्विस या मेंटेनेंस कब हुई व उस पर कितना खर्च आया?

यह भी पढ़ें: एमबीए सरपंच के मैनेजमेंट ने बदल दी गांव की सूरत, दिखा रहा तरक्‍की की नई राह

संबंधित अफसर की पेट्रोल डीजल की पात्रता क्या है? इसके बारे में पूरी जानकारी देनी होगी। हालांकि, यह मात्र एक बार का काम है। उसके बाद सिर्फ गाड़ी का नंबर डालते ही सॉफ्टवेयर बिल अपलोड कर लेगा और उसके बिल का भुगतान कर दिया जाएगा।

लिमिट पार करने पर आएगा अलर्ट

सॉफ्टवेयर में इस बात की व्यवस्था भी की गई है कि किस अफसर, विधायक या मंत्री की पेट्रोल डीजल की लिमिट कितनी है? अगर तय सीमा से अधिक तेल डलवाया जाता है, तो एंट्री के बाद सॉफ्टवेयर से विभाग के सीनियर अधिकारी, फाइनांस डिपार्टमेंट और चीफ सेक्रेटरी तक के कंप्यूटर पर इसका अलर्ट दे देगा। यानी उनके बिलों में कटौती हो सकती है या फिर बढ़े हुए बिलों का भुगतान तब तक नहीं किया जाएगा, जब तक सीनियर अधिकारी से इसकी अप्रूवल नहीं आ जाती। लगभग यही हाल कारों की मेंटेनेंस का भी होगा। अभी तक यह पता नहीं चलता कि किस गाड़ी की मरम्मत कब करवाई गई और उसमें कौन सा सामान कब डलवाया गया, लेकिन नए सॉफ्टवेयर में इसके बारे में बताना होगा।

यह भी पढ़ें: सुहागरात में खुला दूल्‍हे का ऐसा राज कि दुल्‍हन के उड़ गए होश

हर माह 130 करोड़ रुपये का बिल

सरकारी अधिकारियों, विधायकों और मंत्रियों को मिली गाडिय़ों पर हर साल 130 करोड़ रुपये का खर्च होता है। सरकार की इसमें 25 फीसद कमी लाने की योजना है। वित्त विभाग के प्रमुख सचिव अनिरुद्ध तिवारी ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर से कम से कम यह तो पता चल सकेगा कि सरकार के पास गाडिय़ां कितनी हैं? किस गाड़ी को कौन चला रहा है और उसकी पेट्रोल डीजल की पात्रता क्या है? इससे तेल के बिल में होने वाली गड़बड़ी रुक सकेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.