कोरोना काल में वर्चुअल दुनिया ने रिश्तों के आंगन में छोटी-छोटी दीवारें कर दी खड़ीः विनय कुमार
चंडीगढ़ के अणुव्रत भवन सेक्टर-24 के तुलसी सभागार में शनिवार को मुनि विनय कुमार आलोक ने प्रवचन देते हुए कहा कि वर्चुअल दुनिया ने रिश्तों के आंगन में छोटी-छोटी दीवारें खड़ी कर दी है जिन्हें तोड़ पाना मुश्किल लग रहा है।
चंडीगढ़, जेएनएन। कोरोना महामारी के चलते हमने एक-दूसरे से संबंध कायम रखने के लिए वर्चुअल माध्यम का सहारा लिया, लेकिन यह दुनिया हमें सामाजिक प्राणी होने के मूल गुण से दूर कर रही है। यह शब्द मुनि विनय कुमार आलोक ने अणुव्रत भवन सेक्टर-24 के तुलसी सभागार में कहे।
उन्होंने कहा कि वर्चुअल दुनिया ने रिश्तों के आंगन में छोटी-छोटी दीवारें खड़ी कर दी है, जिन्हें तोड़ पाना आने वाले समय में बेहद मुश्किल लग रहा है क्योंकि जब तक खुलकर बात नहीं कर रहे, तो हमारे बीच तनाव पैदा हो रहा है, जिसका कोई समाधान नहीं है। वर्चुअल दुनिया के माध्यम से हम खुद को हल्का महसूस कराने के लिए कई प्रयास कर रहे है लेकिन यह प्रयास नाकाफी है।
हंसी में आ रही कमी
मुनि विनय कुमार आलोक ने कहा कि वर्चुअल दुनिया ने भले ही हमें आपस में जोड़ा हुआ है, लेकिन हम हंसना भूल गए है। जब हम दूसरों से मिलते थे तो हंसी-ठिठोली होती थी और वह हंसी-ठिठोली आपस में प्यार की गांठों को मजबूत करता था लेकिन आज जब हम एक-दूसरे से मिलना छोड़ चुके है तो स्ट्रेस के घेरे में आते जा रहे है। जब तक हम बात नहीं करते तो कई प्रकार के विचार हमारे दिल में घर करते है और हम प्यार के बजाए एक-दूसरे के प्रति रंजिश, नाखुशी की भावना को पैदा कर रहे है।
उन्होंने कहा कि जरूरी है कि हम वर्चुअल दुनिया के साथ-साथ आपस के मेल-जोल को बढ़ाएं और आपसी मतभेद को खत्म करके बेहतर दुनिया में जीना शुरू करें। उन्होंने कहा कि जब तक हम आपस में नहीं मिलेंगे, तब तक हम विकास नहीं कर सकते।