कान फिल्म फेस्टिवल के मार्शे ड्यू फिल्म कैटेगरी में प्रदर्शित हुई विलोम
समलैंगिक रिश्ते और समाज में इसकी दुर्दशा। इसी पर आधारित है फिल्म विलोम।
शंकर सिंह, चंडीगढ़ : समलैंगिक रिश्ते और समाज में इसकी दुर्दशा। इसी पर आधारित है फिल्म विलोम। जिसे कान फिल्म फेस्टिवल के मार्शे ड्यू फिल्म कैटेगरी में प्रदर्शित किया गया। 22-26 जून तक आयोजित इस ऑनलाइन कैटेगरी में विश्व की विभिन्न फिल्मों के साथ शहर की विलोम भी शामिल हुई। इसे पंजाब यूनिवर्सिटी के इंडियन थिएटर डिपार्टमेंट से पढ़ चुके सुंदर पाल ने निर्देशित किया। सुंदर की फिल्म को चंडीगढ़ में ही शूट किया गया और इसमें कलाकार भी चंडीगढ़ के रहे। खबर से आया फिल्म बनाने का विचार
सुंदर ने कहा कि फिल्म बनाने का विचार उन्हें एक खबर से ही आया। बोले कि वर्ष 2016 में एक खबर पढ़ी। जिसमें एक युवक के समलैंगिक होने पर उसकी सोसायटी ने उसके साथ बुरा बर्ताव किया, साथ ही उसे कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद उस युवक की बहन उसे बचाने आई। सुंदर ने कहा कि इस खबर ने उन्हें समाज में समलैंगिक लोगों की मजबूरी और उनकी दुर्दशा के बारे में सचेत किया। बोले कि इसके बाद मैंने ऐसी कई खबरों को देखा। जिसके बाद मेरे मन में इस पर फिल्म बनाने की बात आई। वर्ष 2016 तक इसकी स्क्रिप्ट पर काम करता रहा, फिर 2017 में इसको बनाना शुरू किया। करीब दो साल फिल्म बनाने और फिर इसकी पोस्ट प्रोडक्शन में काम किया। इसे तीन चैप्टर में बांटा गया है, जिसमें तीन विभिन्न मौसमों को दिखाया गया है। अब विभिन्न फेस्टिवल में करेंगे प्रदर्शित
सुंदर ने कहा कि फिल्म का कान तक पहुंचना हमारे लिए सपने के सच होने जैसा है। मार्शे के अंतर्गत हमें फेस्टिवल की एजेंसी ने पहुंचाया, जिन्हें ये फिल्म पसंद आई और अब इसकी मार्केट करेंगे। हम अपनी फिल्म को विश्व के विभिन्न फेस्टिवल में मंचित करना चाहते हैं। अभी ये मेरे द्वारा बनाई गई पहली पूरी फिल्म है, जिसकी अवधि 82 मिनट रही। लोगों को समलैंगिकों की स्थिति से रूबरू करवाना है
सुंदर ने कहा कि फिल्म के लिए उन्होंने इंडियन थिएटर डिपार्टमेंट के ही पूर्व स्टूडेंट्स को लिया। इसमें पांच लाख का खर्चा आया। बोले कि फिल्म से चाहता हूं कि लोग समलैंगिक लोगों को समझें और उन्हें भी समाज का हिस्सा मानें।