स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर की जगह वेक्टर बोर्न डिसीज रिसर्च सेंटर बनाने की तैयारी
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच) सेक्टर-32 का स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर कई वर्षों बाद भी नहीं बन पाया। प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना के बीच नई खबर आ रही है।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच) सेक्टर-32 का स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर कई वर्षों बाद भी नहीं बन पाया। प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना के बीच नई खबर आ रही है। अब चंडीगढ़ प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट की जगह वेक्टर बोर्न डिसीज रिसर्च सेंटर बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। कई हेल्थ एक्सपर्ट शुरू से ही स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर के खिलाफ रहे हैं। वह इसकी जगह दूसरे प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने की बात कहते रहे। अब हेल्थ डिपार्टमेंट ने वेक्टर बोर्न डिसीज रिसर्च सेंटर के विकल्प पर काम करना शुरू कर दिया है। अगले कुछ दिनों में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मीटिग के बाद आगे काम होगा।
हेल्थ डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वेक्टर बोर्न डिसीज का प्रभाव लगातार बढ़ा है। साल दर साल इससे निपटने में काफी मशक्कत करनी होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मांग है कि इससे जुड़ी रिसर्च और एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से ट्रीटमेंट के लिए वेक्टर बोर्न डिसीज रिसर्च सेंटर की शहर को जरूरत है। ऐसा सेंटर अभी रीजन में नहीं है। वेक्टर बोर्न डिसीज में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारी आती हैं। स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर के लिए जमीन चिह्नित, डिजाइन तैयार, निर्माण होना था शुरू
- साल 2017 में प्रशासन ने इसके लिए जीएमसीएच-32 में 1.4 एकड़ जमीन को चिह्नित की थी। 2018 में ब्लूप्रिट भी तैयार कर लिया गया था।
- नक्शे डिजाइन तैयार है प्रोजेक्ट के लिए 32 करोड़ का शुरुआती बजट भी सेंक्शन हो चुका है।
- प्रशासन ने सेंटर के लिए 80 की जगह 200 स्टाफ की मंजूरी का रिवाइज्ड प्रपोजल हेल्थ मिनिस्ट्री को भेजा था। निर्माण कार्य शुरू होने वाला था।
- साल 2010 में दिल्ली में आयोजित हुईं कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान वहां सफदरजंग में एक स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर बनाया गया था। दूसरा सेंटर चंडीगढ़ में बनाने के लिए कवायद शुरू हुई थी। स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर के लिए यह थी तैयारी
प्लानिग में सेंटर में 6 मंजिला बिल्डिग बनाई जानी थी। इसमें इमरजेंसी, सीटी स्कैन, एमआरआइ सहित कई सुविधाएं एक ही छत के नीचे दी जानी थीं। इंजरी से उभरने के लिए खिलाड़ियों को शरीरिक व मानसिक तौर पर मदद मिल सके, इसलिए यहां फिजियोथेरेपी, स्पोर्ट्स साइकोलॉजी सेंटर और स्विमिग पूल जैसी तमाम सुविधाएं मुहैया करवाई जानी थीं। डा. रवि गुप्ता ले चुके है वीआरएस
जीएमसीएच के पूर्व सीनियर डॉ. रवि गुप्ता को इस स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर फॉर एक्सीलेंस का प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया गया था। उनके रहते इस सेंटर की शुरुआत जीएमसीएच-32 में कर दी गई थी। बाद में इसे एक बिल्कुल अलग सेंटर के रूप में डेवलप किया जाना था। पिछले दिनों डॉ. रवि गुप्ता ने वीआरएस ले ली। वह नामी निजी हॉस्पिटल ज्वाइन कर चुके हैं। हेल्थ एक्सपर्ट ने उठाए थे सवाल सवाल
इस स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर पर हेल्थ सेक्टर के एक्सपर्ट सवाल उठा चुके थे। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने भी स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। पीजीआइ के पूर्व डायरेक्टर प्रो. जगत राम ने इस लग्जरी स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर की जगह एडवांस ट्रामा सेंटर बनाने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था कि ट्रामा इंजरी के बढ़ते मरीजों को देखते हुए पहले क्रिटिकल हेल्थ केयर जरूरी है।