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चंडीगढ़ में अनोखी सर्जरी, जानलेवा रोग ऑर्टरी एन्यूरिज्म का नए स्टेंट से इलाज

चंडीगढ़ में डॉक्‍टरों ने अनोखी सर्जरी से एक जानलेवा रोग का इलाज किया। डॉक्‍टरों ने दुर्लभ रोग ऑर्टरी एन्यूरिज्म से पीडि़त मरीज को नया स्टेंट लगाकर सफलतापूर्वक सर्जरी की।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 12:57 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 12:57 PM (IST)
चंडीगढ़ में अनोखी सर्जरी, जानलेवा रोग ऑर्टरी एन्यूरिज्म का नए स्टेंट से इलाज
चंडीगढ़ में अनोखी सर्जरी, जानलेवा रोग ऑर्टरी एन्यूरिज्म का नए स्टेंट से इलाज

चंडीगढ़, [विशाल पाठक]। जानलेवा ऑर्टरी एन्यूरिज्म से पीड़ित एक व्यक्ति की हाल ही में मोहाली के एक प्राइवेट अस्पताल में एक नए लांच स्टेंट को डाल कर सफलतापूर्वक इलाज किया गया। कार्डियो वैस्कुलर एंड एंडोवस्कुलर साइंसेज के डायरेक्टर डॉ. हरिंदर सिंह बेदी ने दावा किया कि दुनिया में पहली बार इस नए ‘कोवेरा प्लस वास्कुलर कवरड’ स्टेंट का इस तरह की सर्जरी में सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया है।

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डॉक्टरों का दावा- दुनिया में पहली बार हुई इस तरह की सर्जरी

मोहाली के आईवी अस्पताल की डॉ. बेदी सहित डॉ. राकेश कुमार, डॉ. जितेन सिंह व डॉ. विक्रम अरोड़ा की टीम ने इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। डॉ. बेदी ने बताया कि यह नया स्टेंट घुटने के जोड़ के पास उपयोग के लिए उपयुक्त है। यह स्टेंट एक विशेष धातु, नितिनोल से बना होता है जो बहुत लचीला होने के कारण बार-बार झुकने पर भी फ्रैक्चर नहीं होता है।

डॉ. हरिंदर सिंह बेदी।

कुछ दिन पहले, अंबाला शहर के एक गुरुद्वारे में सेवादार को अपनी दाहिनी जांघ में अचानक दर्द हुआ। उसे आइवी अस्पताल में लाया गया था। जांच में पाया गया कि उनकी पोपलीटिल ऑर्टरी (घुटने के पीछे एक बड़ी ऑर्टरी) में अबनॉर्मल बलूनिंग थी। इसके फ्रैक्‍चर होने से टिशू में 2.5 लीटर से अधिक रक्त निकल चुका  था।

जोखिम भरा था पारंपरिक उपचार

डॉ. बेदी ने कहा कि यह एक गंभीर जोखिम वाली स्थिति थी। उपचार के दौरान मरीज़ के संभावित अंग नुकसान व जीवन काे भी खतरा था। उन्होंने बताया कि खून की कमी के कारण मरीज बहुत बीमार और एनीमिक था। इसी कारण, रोगी को पारंपरिक उपचार में गंभीर खतरा था। इसके बाद इस तरह की वैकल्पिक योजना बनाई गई कि वह अंदर से ऑर्टरी में रिसाव रोकने के लिए एक स्टेंट का उपयोग किया जा सके।

उन्होंने कहा कि इसमें एक समस्या थी क्योंकि घुटने के जोड़ पर हमेशा हलचल होती और स्टेंट जो धातु से बना होता था, बार-बार लगातार हिलने डुलने से फ्रैक्चर हो सकता था। उन्होंने बताया यह एक नाजुक प्रक्रिया थी क्योंकि स्टेंट को सटीक रूप प्लेस किया जाना था। कुछ मिमी की एक गलती भी समस्याओं का कारण बन सकती थी। डॉ बेदी ने दावा किया कि इस तरह बीमारी के लिए दुनिया में इस नए स्टेंट का इस्तेमाल पहले कभी नहीं किया गया।

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