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केंद्र सरकार धान खरीद के नियमों में बदलाव की तैयारी में, विरोध में पंजाब सीएम अमरिंदर का पीएम को पत्र

केंद्र सरकार धान खरीद के नियमों और मापदंडों में बदलाव की तैयारी कर रही है। इसका सुझाव विशेषज्ञों की टीम ने दिया है। पंजाब सरकार इसके विरोध में है। पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने इसके विरोध में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को पत्र लिख है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 04 Sep 2021 09:01 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 08:26 AM (IST)
केंद्र सरकार धान खरीद के नियमों में बदलाव की तैयारी में,  विरोध में पंजाब सीएम अमरिंदर का पीएम को पत्र
पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। केंद्र सरकार धान, चावल और गेहूं खरीद के नियमों में बदलाव की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से कृषि वैज्ञानिकों के एक ग्रुप का गठन करके धान, धान से मिलिंग करने के बाद निकले चावल और गेहूं खरीद के लिए पहले से तय मापदंडों में बदलाव करना चाहती है। इस ग्रुप ने इस संबंध में अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को दे दी हैं। पंजाब सहित तमाम राज्य इसके विरोध में हैं लेकिन भाजपा शासित राज्य इसका विरोध ज्यादा खुलकर नहीं कर रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने इसका खुलकर विरोध किया है और इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को पत्र लिखा ह

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पंजाब के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने पीएम मोदी काे पत्र लिखकर विरोध जताया

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में इन मापदंडों पर खुलकर विरोध जताया है। खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशू ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि नए मापदंडों को लेकर सभी राज्यों के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिवों की एक बैठक पिछले हफ्ते हुई थी। पंजाब सहित उन तमाम राज्यों ने इसका विरोध किया है जहां से भारी मात्रा में धान और गेहूं की खरीद की जाती है। आशू ने कहा कि इन मापदंडों को देखकर साफ लगता है कि जिन कृषि वैज्ञानिकों ने इसके मापदंड तय किए हैं उनको खरीद की व्‍यावहारिक जानकारी नहीं है।

मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि मापदंड तय करने के लिए बनाई कमेटी में केंद्रीय अधिकारी, केंद्रीय संस्थानों के वैज्ञानिकों को ही शामिल किया गया। न तो राज्यों की खरीद एजेंसियों को इसमें प्रतिनिधित्व दिया गया और न ही सबसे बड़े स्टेक होल्डर किसानों और मिलर्स को। न ही कमेटी ने कोई फील्ड एसेसमेंट की है। केंद्रीय पूल में 50 फीसदी हिस्सेदारी देने वाले पंजाब को भी पूछा नहीं गया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मिलिंग के मापदंडों को ज्यादा सख्त किया जा रहा है उससे मिलिंग इंडस्ट्री बुरी तरह से प्रभावित होगी।

मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि धान की खरीद के बाद पंजाब की एजेंसियां इसकी जब मिलिंग करवाती हैं तब तक तापमान काफी बढ़ जाता है और इस कारण इसमें ब्रोक्रेज आती है। नए प्रस्तावित मापदंडों में ब्रोक्रेज को 25 फीसदी से कम करके 20 फीसदी किया जा रहा है।

इसी तरह धान में नमी की मात्रा को 17 से कम करने का प्रस्ताव है। इस पर मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते अक्टूबर महीने में भी मौसम में काफी नमी रहती है। ऐसे में धान में नमी की मात्रा 17 से कम करना सही नहीं है। काबिले गौर है कि धान की कटाई के समय इनआर्गेनिक मैटर भी आ जाता है और इसकी मात्रा 3 फीसदी सुनिश्चित की हुई है। कमेटी ने इसको भी तीन फीसदी से कम करके दो फीसदी करने की सिफारिश की है।

कैप्‍टन ने कहा कि मिलिंग के बाद रेड ग्रेन की एक फीसदी तक अनुमति है जिसे जीरो किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह संभव नहीं है क्योंकि इसके लिए मिलिंग के लिए लगाई गई मशीनरी को बड़े स्तर पर बदलना होगा और ऐसा अचानक से नहीं किया जा सकता। इसके लिए स्टेक होल्डर्स को बातचीत में शामिल करके ही करना सही होगा।


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