केरल के बाद PGI में कोरोना मरीजों पर Plasma Therepy शुरू, ठीक हुए दो लोगों ने डोनेट किया प्लाज्मा
चंडीगढ़ की पहली कोरोना पॉजिटिव मरीज फिजा गुप्ता और अर्नव गुप्ता ने शनिवार को पीजीआई को प्लाज्मा डोनट किया। इसी के साथ पीजीआई में प्लाज्मा थेरेपी ट्रायल शुरू हो गया।
चंडीगढ़ [विशाल पाठक]। कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। बीते शुक्रवार को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से मंजूरी मिलने के बाद पीजीआई ने कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल शनिवार को शुरू कर दिया। इसके लिए चंडीगढ़ की पहली कोरोना पॉजिटिव मरीज फिजा गुप्ता और अर्नव गुप्ता ने प्लाज्मा डोनट किया है।
बता दें कि केरल के बाद चंडीगढ़ पीजीआई को प्लाज्मा थेरेपी करने की मंजूरी मिली है। आईसीएमआर ने सबसे पहले केरल स्थित श्री चित्र तिरुनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी को प्लाज्मा थेरेपी की मंजूरी दी थी।
पीजीआई ने शुरू किया प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल
पीजीआई के डायरेक्टर प्रोफेसर जगत राम ने बताया कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च से प्लाज्मा थेरेपी की मंजूरी मिल गई है। पीजीआई ने ट्रायल शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी एक ऐसी तकनीक है, जिसके जरिए एक ठीक हुए कोरोना पॉजिटिव मरीज के शरीर से प्लाज्मा लेकर दूसरे कोरोना पॉजिटिव मरीज के शरीर में डाला जाता है। जिस कोरोना पॉजिटिव मरीज का इलाज इससे किया जाता है, उसके शरीर में प्लाज्मा से एंटीबॉडी बनेंगी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। ये एंटीबॉडी शरीर में मौजूद कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का काम करेंगी। प्लाज्मा को संक्रमित मरीज में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इसमें एंटीबॉडी होते हैं जो संक्रमित मरीज के अंदर प्रवेश करने के बाद वायरस लड़ते हैं और उसे संक्रमण आगे फैलने से रोकते हैं।
जब तक वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक प्लाज्मा थेरेपी ही कारगर
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए अब तक वैक्सीन तैयार नहीं हो सकी है। डायरेक्टर प्रोफेसर जगत राम ने बताया कि ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए कारगर साबित हो सकती है। प्लाज्मा थेरेपी से पहले भी कई प्रकार के वायरस और बीमारी को कंट्रोल किया गया है। ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी का कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर पीजीआई चंडीगढ़ ने ट्रायल शुरू कर दिया है।
सार्स और मर्स के दौरान भी प्लाज्मा थेरेपी की गई
इससे पहले वायरल संक्रमण सार्स और मर्स वायरस संक्रमण के दौरान भी प्लाज्मा थेरेपी के जरिये मरीजों का इलाज किया गया था। यह लोगों की जान बचाने में आज तक काफी कारगर साबित हुआ है।
यह है प्लाज्मा थेरेपी
प्रो. जगतराम के मुताबिक प्लाज्मा थेरेपी दरअसल एक ऐसी तकनीक है जिसमें कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति का ब्लड सैंपल लेकर उसके प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी कोरोना वायरस से संक्रमित दूसरे मरीज में ट्रांसफर किए जाते हैं। ये एंटीबॉड़ी मरीज के शरीर में मौजूद कोरोना वायरस से लड़ते हैं और उसे नष्ट करते हैं।साधारण भाषा में जो मरीज कोरोना वायरस से ठीक हो चुका है, उसके ब्लड में मौजूद प्लाज्मा को लेकर दूसरे कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज में डाल दिया जाता है ताकि उसमें मौजूद एंटीबॉडी वायरस को रोकने में मदद कर सकें।
इन विभागों ने शुरू किया ट्रायल
पीजीआई के एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट, डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनल मेडिसिन, इंटेंसिव केयर ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, एंडोक्रिनोलॉजी, वायरोलॉजी और कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट ने मिलकर कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल शुरू कर दिया है।
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