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दो पहियों पर नापे 22 देश

सिख मोटरसाइकिल एसोसिएशन कैनेडा।

By Edited By: Published: Thu, 16 May 2019 08:41 PM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 03:01 AM (IST)
दो पहियों पर नापे 22 देश
दो पहियों पर नापे 22 देश
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सिख मोटरसाइकिल एसोसिएशन, कैनेडा। जिसको कैनेडा में बनाया ही सिखों की पहचान के लिए था। उस दौरान इस एसोसिएशन का मकसद कैनेडा में पगड़ी बांधने की आजादी से था। एक बार फिर ये एसोसिएशन कुछ अलग कर रही है। एसोसिएशन के छह सदस्यों ने कैनेडा से इंडिया तक का रोड ट्रिप पूरा किया। जिसमें उन्होंने कुल 40 दिनों में 22 देशों की यात्रा की। अपनी यात्रा पूरी करके वीरवार को एसोसिएशन के सदस्य प्रेस क्लब-27 पहुंचे। खालसा एड के लिए जुटाए 25 लाख रुपये ग्रुप के सदस्य पर्वजीत ¨सह टक्खर ने कहा इस रैली का आयोजन करने से पहले, हमारे लिए कई समस्याएं थी। मसलन, हर किसी को करीब डेढ़ महीने के लिए छुट्टी चाहिए थी। किसी को मिली तो किसी को नहीं मिली। ऐसे में हम 10 लोग पहले इस ट्रिप का हिस्सा था, जो बाद में घटकर छह रह गए। मगर फिर भी हमने अपना ट्रिप जारी रखा। हमने रास्ते में हर मिलने वाले से खालसा एड का जिक्र किया, उनका काम दिखाया और उन्हें ऑनलाइन पैसे डोनेट करने को कहा। पूरे ट्रिप में हमने कुल 25 लाख रुपये इकट्ठा किया। ये सारा पैसा सीधा खालसा एड के फंड में गया। कैनेडा एयरलाइंस ने दिया 25 प्रतिशत का डिस्काउंट पर्वजीत ने कहा कि इस ट्रिप के दौरान उन्हें कई मजेदार अनुभव हुए। हमने कैनेडा से यात्रा शुरू कर अमेरिका तक पूरी की। मगर फिर हमें इंग्लैंड जाने के लिए हवाई यात्रा करनी थी। जिसके लिए हमें खास तौर पर कैनेडा एयरलाइंस ने 25 प्रतिशत का डिस्काउंट दिया। ये हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि दूसरे देशों ने भी हमारी मदद की। ये पूरा ट्रिप सेल्फ फंडेड था। हमने किसी दूसरे की इसमें मदद नहीं ली। जहाज में एक अंग्रेज को हमने अपने ट्रिप के मकसद पर बताया, तो तुरंत उन्होंने 100 डॉलर हमें पकड़ा दिए। पाकिस्तान ने दिल से अपनाया ग्रुप के सदस्य आजाद ¨सह सिद्धू ने कहा कि हमारे लिए सबसे खास था पाकिस्तान का ट्रिप। हमने वहां कई दिन बिताए। जहां भी जाते तो वहां लोगों से खूब प्यार मिला। यहां तक कि किसी ने भी हमसे पैसे लेने से मना कर दिया। मुझे लगता है कि खबरों में उस देश की एक अलग स्थिति बयान की जाती है। वहां लोगों ने खूब प्यार दिया। यहां तक कि हम अपने पुरखों के गांव भी गए। जहां से आते आते ये हमारे लिए बहुत ही भावनात्मक हो गया। इसके बाद ननकाना साहिब, पंजा साहिब और अन्य तीर्थ स्थानों में भी जाना हुआ। करतारपुर में हमें खास ट्रीटमेंट मिला। हमें खुशी हुई कि दोनों देशों के बीच ऐसी कोशिश भी हो रही है। वाघा बॉर्डर तक पहुंचना हमारे लिए बहुत ही भावनात्मक रहा। जहां के बाद हम पावन धरती अमृतसर में पहुंचे। इन देशों में की राइड ग्रुप के सदस्य ज¨तदर ¨सह चौहान ने कहा कि हमारे लिए इस ट्रिप में सबसे बड़ी मुसीबत मौसम रहा। जिसमें हमने सर्दी और गर्मी दोनों का ही सामना करना पड़ा। हमारे हाथ जल गए, कई बार ठिठुरे भी। मगर फिर भी हमने इस ट्रिप को जारी रखा। हमने कैनेडा से शुरू होते हुए अमेरिका तक पहुंचे। फिर इंग्लैंड, नीदरलैंड, हॉलैंड, जर्मनी, स्पेन, ब्राजील, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, लैंचिस्तान, सुलवेनिया, सर्बिया, इटली, हंगरी, बुल्गारिया, रोमानिया, ग्रीस, तुर्की, ईरान, पाकिस्तान और फिर भारत तक पहुंचे। ट्रिप के लिए कंपनी ने नौकरी से निकाला फिर वापस रख लिया ग्रुप के सदस्य मनदीप ¨सह ने कहा कि वह इंजीनियर हैं और कैनेडा की ही एक कंपनी में काम करते हैं। इस ट्रिप के लिए मैंने काफी पहले से प्ला¨नग कर ली थी। मगर कंपनी वालों ने मना कर दिया। मुझे बहुत बुरा लगा तो मैंने नौकरी ही छोड़ दी। मगर कुछ दिनों बाद जब मेरे बारे में अखबारों में छपने लगा तो मेरी कंपनी ने मुझे फिर से नौकरी पर रख लिया। अब वापस जाकर दोबारा नौकरी कर सकता हूं। ग्रुप में मेरे अलावा ज्यादातर लोग खुद का बिजनेस करते हैं और कुछ ड्राइ¨वग से जुड़े हैं।

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