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मुस्तफा को पंजाब पुलिस की डीजीपी की दौड़ से बाहर करने की कवायद

पंजाब पुलिस के नए प्रमुख के पद के लिए जोड़तोड़ चरम पर है। नए डीजीपी के लिए सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे मोहम्‍मद मुस्‍तफा को इस रेस से बाहर करने की कवायद जोरों पर है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 09:28 AM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 09:04 PM (IST)
मुस्तफा को पंजाब पुलिस की डीजीपी की दौड़ से बाहर करने की कवायद
मुस्तफा को पंजाब पुलिस की डीजीपी की दौड़ से बाहर करने की कवायद

चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। प्रदेश सरकार ने स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को डीजीपी मानवाधिकार मोहम्मद मुस्तफा के गले की हड्डी बना दिया है। एसटीएफ चीफ के रूप में मुस्तफा की तैनाती करके सरकार ने एक साथ तीन निशाने साधे हैं। डीजीपी बनने की दौड़ में शामिल मुस्तफा को सरकार ने एसटीएफ की कमान देकर तीन माह बाद नए डीजीपी की दौड़ से भी बाहर करने की कवायद की है। सुरेश अरोड़ा के बाद सबसे वरिष्ठ आइपीएस एसके गोयल हैं। गोयल अभी केंद्रीय डेपुटेशन पर खुफिया एजेंसी में तैनात हैं। अरोड़ा के बाद गोयल को यहां लाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार सहमत हो गई हैं।

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लंबे समय से साइड लाइन करके रखा गया था डीजीपी मानवाधिकार मोहम्मद मुस्तफा को

डीजीपी अरोड़ा का कार्यकाल 30 सितंबर को खत्म हो रहा है। उससे पहले सरकार ने उन्हें तीन माह का सेवा विस्तार दे दिया है। अरोड़ा के बाद डीजीपी बनने का सपना देखने वालों में मुस्तफा भी शामिल हैं। कांग्रेस में गहरी पैठ के चलते मुस्तफा का डीजीपी बनना तय भी माना जा रहा था, लेकिन उनकी पत्नी रजिया सुल्ताना को सरकार ने कैबिनेट मंत्री बनाकर मुस्तफा को ठंडा कर दिया था।

उसके बाद से अरोड़ा के रिटायर होने का मुस्तफा को इंतजार था। उससे पहले ही सरकार ने अरोड़ा को तीन माह की एक्सटेंशन दिलवाने के साथ-साथ मुस्तफा को एसटीएफ की कमान देकर एक बार फिर डीजीपी की दौड़ से बाहर करने की कवायद की है। इसमें सरकार की भी किरकिरी होनी थी कि पत्नी कैबिनेट मंत्री और पति डीजीपी।

कूटनीति में एक साथ तीन निशाने साधे प्रदेश सरकार ने,-एसटीएफ को मुस्तफा के गले की हड्डी बनाया

केंद्रीय डेपुटेशन पर तैनात एसके गोयल की बीते दिनों कैप्टन के साथ मुलाकात के बाद नए समीकरणों बने हैं। गोयल की तैनाती अभी केंद्रीय खुफिया एजेंसी में है। कैप्टन की नजरें गोयल पर लगी हैं कि उनके तजुर्बे का लाभ पंजाब में लिया जाए। अगर गोयल को दिसंबर में केंद्रीय खुफिया एजेंसी की कमान मिल जाती है तो वह पंजाब नहीं आना चाहेंगे। अगर वहां कमान नहीं मिली तो अरोड़ा के बाद उनका आना लगभग तय माना जा रहा है। उच्च अधिकारियों की मानें तो यही वजह है कि मुस्तफा को सरकार ने पहले ही एसटीएफ की कमान देकर डीजीपी की दौड़ से बाहर कर दिया है। 

हरप्रीत सिद्धू व मुस्तफा सोमवार को करेंगे ज्वाइन

एडीजीपी हरप्रीत सिद्धू सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में ज्वाइन करेंगे। एसटीएफ की अभी तक की कार्यप्रणाली व भविष्य की रणनीति को लेकर सिद्धू ने सीएमओ को सारी जानकारी उपलब्ध करवा दी है। सिद्धू को एसटीएफ चीफ के पद से हटाकर सरकार ने इसी सप्ताह मुख्यमंत्री कार्यालय में मुख्यमंत्री के विशेष प्रमुख सचिव के रूप में तैनाती के आदेश जारी किए हैं। उनके स्थान पर सरकार ने मोहम्मद मुस्तफा को एसटीएफ का नया चीफ बनाया है। मुस्तफा अभी तक डीजीपी मानवाधिकार के पद पर तैनात थे। सिद्धू ने सोमवार को चार्ज छोडऩा है और मुस्तफा ने भी सोमवार को ही एसटीएफ के पद पर ज्वाइन करना है।

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पुलिस में फिर बड़ा फेरबदल, एसटीएफ को स्वतंत्र काम करने की इजाजत

दूसरी अोर, पंजाब सरकार ने एक बार फिर पुलिस में बड़ा बदलाव करते हुए एसटीएफ को स्वतंत्र रूप से काम करने की इजाजत दे दी है। तीन दिन पहले सरकार ने मुस्तफा को एसटीएफ की कमान सौंपी थी। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि जिस पद को एडीजीपी हरप्रीत सिद्धू हेड कर रहे थे उस पद पर एक डीजीपी रैंक के अधिकारी की नियुक्ति करके सरकार ने उसे किनारे लगाया है। वीरवार को सरकार ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी करने के आदेश भी गृह विभाग को दे दिए हैं। साथ ही एसटीएफ के साथ स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को भी मर्ज करने के आदेश सरकार ने दिए हैं।

एसटीएफ चीफ के रूप में तैनाती के बाद मुस्तफा ने अपने निवास पर पार्टी का आयोजन करके मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मांग की थी कि उनके नेतृत्व में काम करने वाली एसटीएफ को स्वतंत्र रूप से काम करने की इजाजत दी जाए। जैसे डीजीपी इंटेलिजेंस के अधीन इंटेलिजेंस विंग स्वतंत्र रूप से काम करता है, उसी प्रकार एसटीएफ को भी स्वतंत्र रूप से विंग बनाने की मांग पर मुस्तफा अड़ गए थे।

पुलिस की सियासत में इसे नए समीकरण के रूप में देखा जा रहा है। पहले भी सिद्धू व डीजीपी सुरेश अरोड़ा के बीच पावर गेम चला था। उसी को खत्म करने के लिए सिद्धू को हटाया गया है। सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी थी कि अब एसटीएफ डीजीपी के अधीन काम करेगी। वीरवार को सरकार की तरफ से इस संबंध में जारी सूचना में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि एसटीएफ डीजीपी के अधीन काम करेगी या नहीं?

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नए समीकरण

-मुस्तफा बतौर एसटीएफ चीफ डीजीपी को रिपोर्ट करेंगे।

-एसटीएफ की बाकी टीम मुस्तफा को रिपोर्ट करेगी।

-डीजीपी की दखलंदाजी केवल मुस्तफा के स्तर तक होगी।

-एसटीएफ में और अधिकारियों व मुलाजिमों की तैनाती होगी।

-सिद्धू की तरह ही अरोड़ा व मुस्तफा के बीच भी छिड़ सकती है पावर गेम।

-पहले भी सरकार ने पावर गेम के चलते ही सिद्धू को हटाया था।

-अब दोबारा सरकार के गले की हड्डी बन सकते हैं मुस्तफा।

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ये व्यवस्थागत फैसले हैैं : चंद्रशेखर

पूर्व डीजीपी चंद्रशेखर कहते हैं कि ये व्यवस्थागत फैसले हैं। सभी अधिकारी वरिष्ठ हैं और अपने-अपने हुनर के माहिर। चूंकि अरोड़ा सीनियर हैं और डीजीपी पंजाब हैं, इसलिए मुस्तफा को उन्हें रिपोर्ट करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। मुस्तफा अभी तक जहां भी रहे हैं अच्छा काम किया है। एसटीएफ में जो कमियां रह गई थीं उन्हें पूरा करके सरकार के फैसले पर वह खरे उतरेंगे।


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