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चंडीगढ़ में सड़कों पर सतर्क रहें लोग, मौत बनकर सरपट दौड़ रही सरकारी गाड़ियां

Chandigarh Newsः चंडीगढ़ में ड्राइविंग के समय ट्रैफिक नियमों की अनदेखी से लोगों की जान जा रही हैं। गाड़ियों में खामियों की बात करे तो निजी से ज्यादा सरकारी गाड़ियों में फिटनेस की कमियां दिखाई देती है। इसमें ट्रक टिप्पर ट्रैक्टर ट्राली डंपर जैसी बड़ी गाड़ियां भी शामिल हैं।

By Vinay KumarEdited By: Published: Tue, 08 Dec 2020 08:51 AM (IST)Updated: Tue, 08 Dec 2020 01:44 PM (IST)
चंडीगढ़ में सड़कों पर सतर्क रहें लोग, मौत बनकर सरपट दौड़ रही सरकारी गाड़ियां
चंडीगढ़ की सड़कों पर दौड़ रही सरकारी गाड़ियां। (जागरण)

चंडीगढ़ [कुलदीप शुक्ला]। चडीगढ़ में ड्राइविंग के समय ट्रैफिक नियमों की अनदेखी, अनफिट वाहन, सड़क में छोटी-बड़ी खामियों सहित आधे-अधूरे निर्माण कार्य के दौरान लापरवाही से लोगों की जान जा रही हैं। गाड़ियों में खामियों की बात करे तो निजी से ज्यादा सरकारी गाड़ियों में फिटनेस की कमियां दिखाई देती है। इसमें यूटी प्रशासन, नगर निगम, चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग सहित दूसरे सरकारी विंग की गाड़ियों में रिफ्लेक्टर, नंबर प्लेट, इंडिकेटर, ब्रेक सहित कई खामियां मिलती है। इसमें ट्रक, टिप्पर, ट्रैक्टर ट्राली, डंपर जैसी बड़ी गाड़ियां भी शामिल हैं।

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इन खामियों की वजह से सरकारी वाहन हादसा करने के साथ दूसरे वाहन चालकों के लिए भी खतरनाक साबित होती है। प्रति वर्ष सीटीयू बसों से होने वाले जानलेवा हादसों की संख्या भी कम नहीं दर्ज होती है। शहर के एग्जिट-एंट्री प्वाइंट सहित कई इंटर्नल छोटे चौक पर रिफ्लेक्टर, मानक, कई टर्न से पहले चेतावनी बोर्ड नहीं होने सहित साइकिल ट्रैक और उसके साथ वाली सड़क पर लाइट्स की कमी से ज्यादातर हादसे होते हैं। कई जगह छोटे चौक नहीं होने और कई छोटे चौक की विजिबिलटी नहीं होने से भी हादसें होते है।  

चंडीगढ़ में सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह में ट्रैफिक और एसटीए के नियमों की अनदेखी करनी है। वाहनों की ड्राइविंग, कोहरे के समय सड़क पर खामियां सहित निर्णाण कार्य के अधूरे काम भी साबित होती है। वहीं, हादसों की वजह बनने वाले अनफिट वाहनों में निजी से ज्यादा सरकारी वाहनों की भरमार है। सड़क पर सरकारी अलग-अलग विंग के वाहनों का काफी चलन है। जिसमें रिफ्लेक्टर, इंडिकेटर, रफ्तार, आधा-अधूरा नंबर प्लेट सहित फिटनेस की श्रेणी में आनी वाली कई खामियां होती हैं।

-हरमन सिद्धू, अराइव सेव संस्था के संस्थापक।

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