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लैब में Testing के बाद ट्रैकसूट घोटाले का होगा पर्दाफाश, शिकायतकर्ता का पता निकला गलत Chandigarh News

शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा देशभर के सरकारी दफ्तरों में किसी भी सामान की खरीद गवर्नमेंट ई मार्केट पाेर्टल पर की जाती है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 12:19 PM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 03:36 PM (IST)
लैब में Testing के बाद ट्रैकसूट घोटाले का होगा पर्दाफाश, शिकायतकर्ता का पता निकला गलत  Chandigarh News
लैब में Testing के बाद ट्रैकसूट घोटाले का होगा पर्दाफाश, शिकायतकर्ता का पता निकला गलत Chandigarh News

चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। School National Games में हुए ट्रैकसूट घोटाले के बाद खिलाड़ियों को दिए ट्रैकसूट लैब में टेस्टिंग के लिए भेजे जाएंगे। इस स्केंडल के उजागर होने के बाद से शिक्षा विभाग का मानना है कि टेस्टिंग के बाद सच्चाई क्या है इस बात का पता चलेगा। विभाग द्वारा ट्रैकसूट को किसी साधारण लैब में नहीं बल्कि भारत सरकार से मान्यता प्राप्त में टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा।

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जीईएम पर होती है सभी डील

नाम बताने की शर्त पर शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा देशभर के सरकारी दफ्तरों में किसी भी सामान की खरीद गवर्नमेंट ई मार्केट पाेर्टल पर की जाती है। इससे बाहर कोई भी सरकारी विभाग किसी भी प्रकार का सामान नहीं खरीद सकता है। यहां पर रेंडमबली बिड लगती है और हमें किसी भी वेंडर की कोई डिटेल शो नहीं होती है। पोर्टल स्वंय वेंडर का सिलेक्शन करके विक्रेता को सूचित करता है जिसकी जानकारी एसएमएस द्वारा आ जाती है।

ट्रैकसूट की कपड़े की जांच बाद होगा फैसला

अधिकारियों ने बताया कि ट्रैकसूट को खरीदने के लिए घोटाला नहीं हो सकता है। रही बात ट्रैकसूट की क्वालिटी की तो उसका खुलासा टेस्टिंग के बाद हो जाएगा। शिकायकर्ता द्वारा ट्रैकसूट की क्वालिटी को लेकर सवाल खड़े किए है। जिसकी पुष्टि के लिए लैब टेस्टिंग करने का निर्णय लिया गया है।

वेंडरों से लेकर विभागों का होता है रजिस्ट्रेशन

जीईएम द्वारा सभी कार्य को पारदर्शिता से किया जाता है। यहां केवल चंडीगढ़ के सरकारी विभाग नहीं बल्कि पूरे देश के सरकारी विभागों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। उसके साथ ही वेंडरों का भी रजिस्ट्रेशन होता है जिसकी जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध होती है। अगर किसी सामान की किमत 20 रुपये है और उसके लिए एक साथ पांच वेंडर आ जाते है तो पोर्टल द्वारा स्वंय ही वेंडर का चुनाव किया जाता है।

शिकायतकर्ता सुमीत पॉल द्वारा ट्रैकसूट में हुए घेाटाले की शिकायत शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को की गई थी, उसके बाद विभाग ने उस पते पर जाकर शिकायतकर्ता से संपर्क करने की कोशिश की गई तो वह पता गलत निकला।

विभाग में मची खलबली 

इस बात को लेकर विभाग में ओर भी ज्यादा खलबली मची हुई है। विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि लैब टेस्टिंग के बाद अगर ट्रैकसूट की क्वालिटी खराब होगी तो उस वेंडर की पेमेंट रोक दी जाएगी। अगर ट्रैकसूट की गुणवत्ता ठीक पाई जाती है तो फिर शिकायकर्ता के खिलाफ कानूनी एक्शन लिया जाएगा।

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