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CBSE से मान्यता प्राप्त करने के लिए चंडीगढ़ के स्कूलों को करना पड़ेगा भुगतान, सभी नार्म्स करने होंगे पूरे

गौरतलब है कि सीबीएसई तीन से पांच साल के लिए स्कूलों को मान्यता देता है जिसके बाद उसे रिन्यू कराना होता है। मान्यता पाने के लिए स्कूलों के पास सुरक्षा और स्टूडेंट्स के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए सुविधाओं का होना अनिवार्य है।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 04:18 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 04:18 PM (IST)
CBSE से मान्यता प्राप्त करने के लिए चंडीगढ़ के स्कूलों को करना पड़ेगा भुगतान, सभी नार्म्स करने होंगे पूरे
सीबीएसई से मान्यता लेने के लिए स्कूलों को करना हो खर्च।

चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) से मान्यता लेने के लिए भुगतान करना पड़ेगा। शहर के प्राइवेट स्कूलों के साथ सरकारी स्कूलों को भी एफिलेशन रिन्यू कराने के लिए सभी नार्म्स को पूरा करने होगा। यह पहली बार है जब स्कूलों को मान्यता पाने और उसे रिन्यू कराने के लिए अदायगी करनी होगी।

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सीबीएसई की तरफ से जारी निर्देश की एक कापी स्कूलों में पहुंच चुकी है, जिसके बाद सभी स्कूल अलग-अलग विभागों के नार्म्स को पूरा करने के लिए डाक्यूमेंट्स तैयार करने में जुटे हुए हैं। गौरतलब है कि सीबीएसई तीन से पांच साल के लिए स्कूलों को मान्यता देता है जिसके बाद उसे रिन्यू कराना होता है। मान्यता पाने के लिए स्कूलों के पास सुरक्षा और स्टूडेंट्स के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए सुविधाओं का होना अनिवार्य है। जिसमें सबसे पहले बिल्डिंग की सुरक्षा, आग लगने की स्थिति में स्कूल की इमारत से बाहर निकलने का रास्ता, स्टूडेंट्स के बैठने और खेलने के लिए स्थान और सामान की उपलब्धता अनिवार्य है। इसी प्रकार से क्लास के अनुसार सुविधाएं, जैसे छठी के बाद के स्टूडेंट्स के लिए अलग-अलग प्रकार की लैब और उसमें उपकरणों का होना अनिवार्य होता है। यदि स्कूल के पास वह सब नहीं होता तो सीबीएसई उसे मान्यता देने से इंकार कर सकता है। 

फायर सेफ्टी के लिए 60 हजार, बल्डिंग सेफ्टी सर्टिफिकेट के लिए देने होंगे 50 हजार रुपये

सीबीएसई के नए नियमों के अनुसार स्कूलों को फायर सेफ्टी का सर्टिफिकेट पाने के लिए 60 हजार जबकि बल्डिंग सर्टिफिकेट के लिए 50 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। इसी प्रकार से  हेल्फ सेफ्टी के लिए पांच हजार और स्कूल के अंदर साधनों को दिखाने के लिए 50 हजार का भुगतान करना होगा। यह भुगतान स्कूलों को नगर निगम और प्रशासन के अलग-अलग विभागों में जमा करवाकर उससे सर्टिफिकेट पाना होगा और उसे सीबीएसई मान्यता के समय पर दिखाना होगा। यदि कोई सर्टिफिकेट स्कूल के पास नहीं है तो उसकी मान्यता लंबे समय तक लटक सकती है। 

नई मान्यता हासिल करने के साथ रिन्यू कराने के लिए भी होगा भुगतान

शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के लिए यदि कोई नया स्कूल खोलता है तो उसे तो यह सारे सर्टिफिकेट पाने के लिए भुगतान करना होगा उसके अलावा यदि कोई स्कूल या संस्थान मान्यता को रिन्यू करवाना चाह रहा है तो भी उसे यह भुगतान करना होगा। उल्लेखनीय है कि शहर के 114 और 74 प्राइवेट स्कूल है इसके अलावा शहर के विभिन्न स्लम एरिया में भी छोटे-छोटे स्कूलों की स्थापना हुई है जो कि लंबे समय से मान्यता पाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। शहर से ढाई लाख से भी ज्यादा स्टूडेंट्स सीबीएसई मान्यता स्कूलों से शिक्षा हासिल कर रहे है। शहर के सरकारी स्कूल में 15 सौ से चार हजार जबकि प्राइवेट में दो से तीन हजार स्टडेंट्स होना सामान्य बात है।


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