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चंडीगढ़ में चल सकती है मोनो रेल, एक टाइम में 10 हजार लोग कर सकेंगे सफर

ट्राइसिटी में मोनो रेल सबसे बेहतर विकल्प सिद्ध हो सकता है। मेट्रो चलाने पर जहां 14 हजार करोड़ रुपये खर्च आता वहीं मोनो रेल एक तिहाई से भी कम 3500 करोड़ रुपये में चलाई जा सकती है।

By Sat PaulEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 12:01 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 03:34 PM (IST)
चंडीगढ़ में चल सकती है मोनो रेल, एक टाइम में 10 हजार लोग कर सकेंगे सफर
चंडीगढ़ में चल सकती है मोनो रेल, एक टाइम में 10 हजार लोग कर सकेंगे सफर

जेएनएन, चंडीगढ़ : ट्राइसिटी में ट्रैफिक समस्या को दूर करने के लिए मोनो रेल सबसे बेहतर विकल्प सिद्ध हो सकता है। मेट्रो चलाने पर जहां 14 हजार करोड़ रुपये खर्च आता वहीं मोनो रेल एक तिहाई से भी कम 3500 करोड़ रुपये में चलाई जा सकती है। मंगलवार को स्विस मोनो रेल कंपनी इंटामिन के पदाधिकारियों ने प्रेजेंटेशन के जरिए यह बात अधिकारियों के सामने रखी। यह मीfटग एडवाइजर मनोज कुमार परिदा की अध्यक्षता में हुई जिसमें होम सेक्रेटरी एके गुप्ता, ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी एके fसगला और एडीशनल सेक्रेटरी ट्रांसपोर्ट अमित तलवार सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

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बता दें कि यह कंपनी सितंबर 2018 में भी तत्कालीन एडवाइजर परिमल राय के सामने प्रेजेंटेशन दे चुकी है। उस दौरान सांसद किरण खेर इस कंपनी को लेकर आई थी। किरण खेर ने मोनो रेल चलाने की जानकारी भी दी थी। अब एडवाइजर मनोज कुमार परिदा की मौजूदगी में दोबारा से कंपनी ने प्रेजेंटेशन दी। लेकिन दो बार प्रेजेंटेशन के बाद भी प्रशासन अभी कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है।

इसकी वजह यही है कि अभी तक प्रशासन के पास कोई ऐसी स्टीक स्टडी नहीं है कि किस रोड पर कितना ट्रैफिक है और उसको कम करने के लिए कौनसा विकल्प बेहतर होगा। बताया जा रहा है कि प्रशासन लाइट रेल कंपनी से भी एक बार प्रेजेंटेशन लेना चाहता है। उसके बाद जो विकल्प बेहतर होगा उसके बारे में सोचा जाएगा। फिलहाल प्रशासन सिर्फ सॉफ्ट सॉल्यूशंस पर ही काम करना चाहता है। इनमें कार पूल सिस्टम, इलेक्ट्रिक बसें और ट्रैफिक को मेनुअली मैनेज करने जैसी चीजें शामिल हैं।

प्रेजेंटेशन में यह

मोनोरेल के लिए fसगल ट्रैक एलिवेटेड होंगे। खरड़, जीरकपुर, पंचकूला और मुल्लांपुर के करीब 18 से 20 किलोमीटर के एरिया की कनेक्टिविटी होगी। 

एक टाइम में आठ से 10 हजार लोग ट्रेवल कर सकेंगे। करीब 150 से 200 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर का खर्चा होगा। मोनो रेल बिजली पर चलेगी। एन्वायरनमेंट फ्रेंडली होगी।

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