अभी तक कैशलेस नहीं हो पाए चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के तीन विभाग, छुट्टे पैसों के लिए होती है मारामारी
अधिकारियों का कहना था कि 13 स्वैपिंग मशीनें लाई गई है लेकिन यह कोई नहीं बता रहा कि यह मशीने इंस्टाल कहा की गई हैं।
चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। रेलवे ने दावा किया था कि जनवरी 2017 तक स्टेशन के तीन विभाग को कैशलेस कर दिया जाएगा, पर हैरत की बात यह है कि अभी तक ये बात सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। स्टेशन को कैशलेस करने के लिए वहां पर स्वैप मशीनें तक नहीं आई हैं।
नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के दौरान स्टेशन पर कैश को लेकर यात्रियों में काफी दिक्कत पेश आ रही थी। इसके बाद रेलवे ने यहां कैशलेस योजना को बढ़ावा देने की योजना बनाई थी। उस समय रेलवे के उच्चधिकारियों ने बैंक के साथ बातचीत को बहाना बनाया था। इतने वर्षों बाद भी रेलवे द्वारा इस कैशलेस प्रोजेक्ट को अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। अभी फिलहाल कोरोना संक्रमण के कारण स्टेशन से ट्रेनों को आंशिक रुप से चलाया जा रहा है, लेेकिन हालात सामान्य होने के बाद फिर से यहां कैश को लेकर हंगामा होना तय है।
तीन विभाग बनाने थे कैशलेस
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के जिन तीन विभागों को कैशलैस बनाने की योजना बनी थी, उनमें पार्सल विभाग, बुकिंग काउंटर और अनारक्षित टिकट काऊंटर शामिल थे, लेकिन रेलवे द्वारा अभी तक किसी भी विभाग में स्वैपिंग मशीन उपलब्ध नहीं करवाई जा सकी है। आज भी यहां कैश में ही काम चलाया जा रहा है। इसके अलावा अधिकारियों का कहना था कि 13 स्वैपिंग मशीनें लाई गई है, लेकिन यह कोई नहीं बता रहा कि यह मशीने इंस्टाल कहा की गई हैं।
रोजाना 10 हजार से ज्यादा यात्री करते हैं सफर
आम दिनों में चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से रोजाना 10 हजार से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। इनमें से अधिक्तर यात्री कम दूरी का सफर करने वाले हैं। वह रोजाना टिकट खरीदते हैं। ऐसे में टिकट काऊंटरों पर स्वैपिग मशीनें ना होने से लाइन में लगकर टिकट खरीदनी पड़ रही है। ऐसे में कई बार खुले पैसों के अाभाव में यात्रियों को दिक्कत आती है और बचे हुए पैसे कर्मचारियों की जेब में जाते हैं।
पार्सल विभाग इनकम का मुख्य सहारा
रेलवे स्टेशन की होने वाली आमदनी में यहां बना पार्सल विभाग मुख्य है। पार्सल विभाग से स्टेशन काे एक वित्तिय वर्ष में करोड़ों की कमाई होती है। ऐसे में वहां पर भी कैश को लेकर कई बार हंगामा हुआ है। इस बात को देखते हुए पार्सल विभाग को भी कैशलेस करने का प्लान बनाया गया था। वहीं स्टेशन पर 90 फीसद लोग टिकट लेने के लिए आते हैं।
भारतीय रेलवे 59 से 60 फीसद कैशलैस हैं। इसके अलावा शताब्दी में सफर करने वाले लोग ऑनलाइन ही टिकट बुक करते हैं। पार्सल विभाग के बारे में मुझे पता नहीं है। इस बारे में चैक करने के बाद ही कुछ कह सकता हूं।
गुरिंदर मोहन सिंह, डिवीजनल रेलवे मैनेजर, अंबाला मंडल