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चंडीगढ़ प्राचीन कला केंद्र में शुरू हो रहा तीन दिवसीय युवा कत्थक उत्सव, राष्ट्रीय स्तरीय कलाकार देंगे प्रस्तुति

चंडीगढ़ सेक्टर 35 स्थित प्राचीन कला केंद्र में एक बार फिर से रौनक लौटने वाली है। कोरोना महामारी के बाद पांच फरवरी के युवा कत्थक फेस्टिवल का फिजिकल आयोजन होने जा रहा है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्तर के कलाकार प्रस्तुति देंगे।

By Ankesh KumarEdited By: Published: Fri, 29 Jan 2021 03:55 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jan 2021 03:55 PM (IST)
चंडीगढ़ प्राचीन कला केंद्र में शुरू हो रहा तीन दिवसीय युवा कत्थक उत्सव, राष्ट्रीय स्तरीय कलाकार देंगे प्रस्तुति
प्राचीन कला केंद्र में कत्थक की प्रस्तुति देता कलाकार (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। कोरोना महामारी के बाद पांच फरवरी से प्राचीन कला केंद्र सेक्टर-35 तीन दिवसीय ऑफलाइन युवा कत्थक उत्सव का आयोजन करेगा। जिसमें पहले दिन बृजु महाराज की बेटी शिनिजनी कुलकर्णी, दूसरे दिन माता प्रसाद मिश्रा के बेटे रूद्रा शंकर मिश्रा और अंतिम दिन राजेंद्र गंगानी के बेटे संजीत गंगानी प्रस्तुति देंगे।

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जानकारी देते हुए केंद्र के सचिव सजल कौसर ने बताया कि इस फेस्टिवल को बड़ा करने का विचार था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते तीन दिनों में ही फेस्टिवल पूरा होगा। फेस्टिवल में सभी राष्ट्रीय स्तरीय कलाकारों बुलाया गया है जो कि प्राचीन कला केंद्र के एमएल सभागार सेक्टर-35 में होगा। जहां पर दर्शकों के बैठने के लिए भी विशेष प्रबंध किए जाएंगे।

कोरोना वैक्सीन आने के बावजूद भी बचाव पर ध्यान देना जरूरी है जिसके लिए फिजिकल डिस्टेसिंग के साथ सिटिंग प्लान तैयार किया गया है इसके साथ ही सेनिटाइजिंग का भी प्रबंध किया गया है। इसके साथ ही फेस्टिवल का प्रसारण यूट्यूब और फेसबुक पर भी किया जाएगा ताकि जो लोग केंद्र पहुंचकर फेस्टिवल का हिस्सा न बने वह घर बैठकर ही देख सकते है।  

सबसे पुरातन नृत्य है कथकः शोभा कौसर

प्राचीन कला केंद्र की रजिस्टार शोभा कौसर ने कहा कि कत्थक भारत का सबसे पुराना और सबसे अमीर नृत्य है। इसमें शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ हर देवी-देवता की वंदना को किया जा सकता है। कत्थक की शुरूआत गणेश वंदना, सरस्वती वंदना से लेकर विभिन्न देवी-देवताअों के गुणगान से होती है। इसी प्रकार से राधा-श्रीकृष्ण प्रेम लीला से लेकर विभिन्न देवी-देवताओं के जीवन को कत्थक के जरिए दिखाया जाता है। कत्थक में शिव तांडव सबसे अहम माना जाता है और उसकी पहचान देश के अलावा विदेशों में भी है। जब भी किसी विदेशी मंच पर कत्थक या फिर भारतीय शास्त्रीय नृत्य की परफार्मेंस होती है तो शिव तांडव को जरूर याद किया जाता है। शिव तांडव ऐसा नृत्य है जो कि भगवान शिव के स्वरूप को दिखाने के साथ-साथ सृष्टि निर्माण के विभिन्न दृश्यों को भी पेश करता है।


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