आज भी घट रही हीर रांझा की कहानी, पंजाब यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स ने नाटक के जरिये किया भावविभाेर
हीर रांझा तब भी थे आज भी है। हर नाटककार इसे अपने रूप से देखता है।
जेएनएन, चंडीगढ़ : हीर रांझा, तब भी थे, आज भी है। हर नाटककार इसे अपने रूप से देखता है। मगर फिर भी हमारे समाज में ये कहानी मिल ही जाती है। इसी समकालीन कहानी को अपने नाटक के जरिये दिखाया इंडियन थिएटर डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स ने। वीरवार को पंजाब यूनिवर्सिटी के इंडियन थिएटर डिपार्टमेंट की ये एनुअल प्रोडक्शन रही, जिसमें शहर के कई प्रसिद्ध कलाकार शामिल हुए। नाटक का निर्देशन डॉ. नवदीप कौर का रहा। नाटक की शुरुआत हीर रांझा की मजार से होता है। जहां सूत्रधार, दोनों की प्रेम कहानी सुनाता है। हीर-रांझा की कहानी शुरू होती है। इसमें वही टाइम पीरियड दिखाया गया है। वारिस शाह के कलाम, धीरे-धीरे पंजाबी की महक और एक प्रेम कहानी का उदय। हीर की खूबसूरती के चर्चे होते हैं। रांझा की बहादुरी के किस्से सुने जाते हैं। धीरे-धीरे गीतों के जरिये दोनों के प्रेम कहानी को खूबसूरती के साथ पेश किया जाता है।
इसके बाद दोनों के बीच परिवार वालों का अलगाव, और अंत में हीर के भाइयों द्वारा रांझा की मृत्यु को दिखाया गया। संगीत और लाइट्स में बेहतर रहा नाटक नाटक अपने आपमें बहुत खूबसूरत रहा। नाटक में समकालीन हालतों को लाते हुए, कुछ कुछ आज के समय के प्रसंग भी लिए गए। साथ ही इसमें संगीत ने पुराने पंजाब की खुशबू को बखूबी जोड़ा। इससे नाटक में पकड़ बनी रही और हीर रांझा की असल कहानी के दर्शन हो पाए। कलाकार पंजाब से नहीं थे, इसके बावजूद उन्होंने पंजाबी भाषा में अच्छी पकड़ रखी। इसके अलावा एनएसडी के प्रोफेसर साउती चक्रबती ने लाइट्स को बखूबी प्रस्तुत किया।
नाटक देखने के लिए एंट्री फ्री
कुछ एक जगह हीर रांझा, अपनी पंजाबी से थोड़ा जटिल भी लगता है। मगर एक कविता की तरह ये हमें आज और इतिहास के करीब भी ले जाता है, जिसकी वजह से नाटक को देखते हुए दर्शकों ने इसे स्टैंडिंग ऑवेशन भी दी। हालांकि नाटक की अवधी दो घंटे रही, मगर फिर भी नाटक कामयाबी से दर्शकों को जोड़ने में सफर रहा। रविवार तक रहेगा नाटक का मंचन पंजाब यूनिवर्सिटी के इंडियन थिएटर डिपार्टमेंट की ये प्रस्तुति रविवार तक रहेगी। जो शाम 7.30 बजे से शुरू होगी। इसमें एंट्री फ्री रहेगी।
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