GMCH-32 का स्टाफ ही चला रहा प्राइवेट एंबुलेंस का पूरा धंधा, इस तरह होता है सारा खेल Chandigarh News
जीएमसीएच-32 का स्टाफ ही प्राइवेट एंबुलेंस का धंधा कर रहा है। प्राइवेट एंबुलेंस के इस पूरे नेक्सेस में अस्पताल के प्रशासन से लेकर अटेंडेंट वार्ड ब्वॉय और अन्य लोग मिले हुए हैं।
चंडीगढ़ [विशाल पाठक]। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच-32) का स्टाफ ही प्राइवेट एंबुलेंस का धंधा कर रहा है। प्राइवेट एंबुलेंस के इस पूरे नेक्सेस में अस्पताल के प्रशासन से लेकर अटेंडेंट, वार्ड ब्वॉय और अन्य लोग मिले हुए हैं। जीएमसीएच-32 के इमरजेंसी ब्लॉक में काम करने वाले अटेंडेंट दीपक और उसका भाई अर्जुन इस प्राइवेट एंबुलेंस के पूरे गोरखधंधे को ऑपरेट करते हैं। यह लोग मरीजों की जरूरत और मजबूरी का फायदा उठाते हुए लोगों को अपनी प्राइवेट एंबुलेंस मुहैया करा ज्यादा पैसे वसूल करते हैं। जीएमसीएच-32 में प्राइवेट एंबुलेंस का यह खेल पिछले कई साल से चल रहा है।
अस्पताल प्रशासन के ही एक अफसर की मानें तो कई बार अस्पताल के डायरेक्टर को भी अटेंडेंट दीपक द्वारा चलाए जा रहे प्राइवेट एंबुलेंस के बारे में लिखित में शिकायत दी जा चुकी है। लेकिन इसके बावजूद भी उस पर अस्पताल प्रशासन कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं। क्योंकि इस प्राइवेट एंबुलेंस के खेल में अस्पताल के प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी और अन्य स्टाफ मिला हुआ है। जोकि लाखों रुपये कमा रहे हैं।
एंबुलेंस के लिए फोन पर बातचीत
अटेंडेंट दीपक के साथ दैनिक जागरण के संवाददाता ने जब स्टिंग करते हुए जीएमसीएच-32 के अटेंडेंट दीपक को फोन किया। उसने कहा कि वह अभी अस्पताल में नहीं है। किसी काम से बाहर आया हुआ है। दीपक से संवाददाता ने हरियाणा के रोहतक तक प्राइवेट एंबुलेंस की बात की। उसने फोन पर जवाब देते हुए कहा कि उसकी एंबुलेंस अभी मरीज को लेकर गई हुई है। जब संवाददाता ने कहा कि क्या कोई और प्राइवेट एंबुलेंस का बंदोबस्त हो सकता है। अटेंडेंट दीपक ने कहा पांच मिनट बाद कॉल करके बताता हूं। दोपहर में दीपक ने संवाददाता के पास कॉल किया। दीपक ने कहा कि उसने अपने एक अन्य साथी को संवाददाता का नंबर दिया है। वह उसे कॉल कर लेगा। दीपक के फोन रखते ही संवाददाता के मोबाइल पर दीपक के अन्य दोस्त का प्राइवेट एंबुलेंस के लिए फोन आता है। जोकि रोहतक तक जाने के लिए 10 रुपये प्रति किलोमीटर चार्ज मांग रहा था। संवाददाता ने जीएमसीएच-32 के इमरजेंसी ब्लॉक के बाहर जाकर दीपक के ही साथ अन्य प्राइवेट एंबुलेंस चालकों के पूरे नेक्सेस की हर गतिविधि को अपने कैमरे में रिकॉर्ड किया।
पांच साल से अटेंडेंट के तौर पर कर रहा काम
जीएमसीएच-32 में इमरजेंसी ब्लॉक के कमरा नंबर-1 में अटेंडेंट दीपक पिछले 5 साल से काम कर रहा है। अटेंडेंट दीपक अपने भाई अर्जुन के साथ मिलकर अस्पताल में अपनी प्राइवेट एंबुलेंस का यह गोरखधंधा पिछले 5 साल से चल रहा है। जबकि अस्पताल के मानकों के अनुसार सभी पैरामेडिकल व अन्य स्टाफ की ड्यूटी हर महीने चेंज की जानी अनिवार्य है। दीपक, उसका भाई अर्जुन की शह पर अस्पताल में आने वाले प्राइवेट एंबुलेंस चालक 24 घंटे इमरजेंसी ब्लॉक के इर्द-गिर्द ही रहते हैं। जैसे ही मरीजों को या उनके तीमारदारों को एंबुलेंस की जरूरत पड़ती है। यह लोग वहां पहुंच जाते हैं। इमरजेंसी ब्लॉक से बाहर निकलते ही प्राइवेट एंबुलेंस चलाने वाले गिरोह के सदस्य लोगों को सेवा के लिए पूछते नजर आते हैं। अस्पताल में प्राइवेट एंबुलेंस खड़ी करने की जगह नहीं है। जिसके चलते यह लोग अपनी प्राइवेट एंबुलेंस को अस्पताल के बाहर खड़ा कर देते हैं। यह लोग जब मरीज या उनके तीमारदारों से एंबुलेंस बुक करवा लेते हैं। तब इनका एक आदमी या ड्राइवर बाहर से एंबुलेंस लेकर अस्पताल के इमरजेंसी ब्लॉक के सामने आ जाता है।
बीच रास्ते में बदल देते हैं एंबुलेंस
जीएमसीएच-32 अस्पताल से जो भी प्राइवेट एंबुलेंस मरीज या उनके तीमारदारों को लेकर निकलती है। वह एंबुलेंस जीरकपुर या अंबाला पहुंचने पर बदल दी जाती है। अस्पताल में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और उत्तर प्रदेश से मरीज इलाज के लिए आते हैं। जब बाहरी राज्य का कोई मरीज प्राइवेट एंबुलेंस अस्पताल से बुक कराता है तो यह चालक जीरकपुर या अंबाला के बाद अपने ही जानकार की प्राइवेट एंबुलेंस में मरीज को पलटी करवा देते हैं। ताकि रास्ते में कहीं प्राइवेट एंबुलेंस पकड़ी न जाए। क्योंकि इनमें से अधिकतर प्राइवेट एंबुलेंस स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के पास या तो रजिस्टर्ड नहीं हैं या फिर इनके पास प्राइवेट एंबुलेंस चलाने का लाइसेंस या व अन्य दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।