कोरोना मरीजों के इलाज और डॉक्टर्स व मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा की भी थी जिम्मेदारी: डॉ. पंकज
कोरोना महामारी ने जब देश में पैर पसारे तो मेरे पास मरीजों को बचाने के साथ उनका इलाज करने वाले डॉक्टर्स की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी थी।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़
कोरोना महामारी ने जब देश में पैर पसारे तो मेरे पास मरीजों को बचाने के साथ उनका इलाज करने वाले डॉक्टर्स की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी थी। जिसने मुझे छह महीनों से एक भी बार घर पर बैठने या पीछे मुड़ने के लिए सोचने नहीं दिया। यह बात पीजीआइ के डिपार्टमेंट ऑफ हॉस्पिटल में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पंकज अरोड़ा ने कही। उन्होंने कहा कि जब महामारी ने भारत में दस्तक दी तो इससे बचाव के हमारे पास बेहतर उपकरण नहीं थे। मैं पीजीआइ में अस्पताल प्रशासन को संभाल रहा था जिसके कारण मुझ पर ज्यादा जिम्मेदारी थी। मैं 22 मार्च के बाद तीन महीनों तक घर में नॉर्मल लाइफ नहीं जी सका। दोहरी जिम्मेदारी के अहसास ने मुझे ऐसा प्रोत्साहित किया कि आज छह महीनों से मैं बिना रुके डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ को पीपीई किट्स मुहैया करवा रहा हूं। लॉकडाउन में खुद की गाड़ी भिजवाया थी पीपीई किट्स
डॉ. पंकज अरोड़ा ने बताया कि शुरुआत में हमारे पास पीपीई किट्स की कमी थी। ऐसे में सुबह आठ बजे से रात 11 बजे तक देश के अलग-अलग स्थानों पर कॉल करके किट्स को लेने के लिए ऑर्डर करना तो कभी किट्स लेने गई गाड़ियों को ट्रेस करना मेरी ड्यूटी थी। इसके लिए मैं रविवार की छुट्टी भी नहीं कर पाया लेकिन आज मैं खुश हूं कि पीपीई किट की कमी से कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं हुआ और हम इस महामारी को बेहतर तरीके से कंट्रोल पा रहे हैं। बेहतर मास्क डालने के साथ अन्य हिदायतों का पालन करना जरूरी
कोरोना बचाव पर डॉ. पंकज ने कहा कि मास्क सबसे अहम है। जिसे हमेशा पहनना जरूरी है। इसके अलावा कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए प्रशासन व सरकार द्वारा जारी की गई हिदायतों का पालन करना भी सबसे ज्यादा जरूरी है। क्योंकि इस समय बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है।