ट्वॉय ट्रेन के सुहाने सफर की चाहत अभी नहीं होगी पूरी
अभी भी कुछ दिनों तक हरी झंडी मिलने कोई संभावना नहीं है।
छुक छुक गाडी के लिए अभी और करना होगा इंतजार राजकुमार, कालका : कोरोना महामारी के चलते करीब छह माह से रुके हुए ट्वॉय ट्रेन के पहियों को पटरी पर दौड़ने के लिए अभी भी कुछ दिनों तक हरी झंडी मिलने कोई संभावना नहीं है। ऐसे में ट्वॉय ट्रेन के सुहाने सफर का आनंद उठाने की चाहत लिए बैठे सैलानियों को कुछ समय और इंतजार करना पडे़गा। वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल कालका शिमला रेल खंड के एक सदी के इतिहास में यह पहला मौका है जब ट्वॉय ट्रेन बीते अप्रैल माह में वर्ल्ड हेरिटेज के मौके पर भी पटरी पर नहीं दौड़ सकी थी। जानकारी के अनुसार वर्ष 1903 में अंग्रेजों ने कालका से शिमला तक रेल लाइन बिछाकर इस ट्रैक पर ट्वॉय ट्रेन सेवा स्टीम इंजन के साथ शुरू की थी। बडी लाइनों का आखिरी और छोटी लाइन का पहला स्टेशन होने के कारण देश और दुनिया से सैलानियों का आवागमन होने लगा और ट्वॉय ट्रेन के सुहाने सफर का जादू सैलानियों के सिर चढ़कर बोलने लगा। रेल सेक्शन ने 100 वर्ष पूरे किए तो विभाग ने रेल खंड का 23 नवंबर 2003 को कालका और शिमला में भव्य शताब्दी समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह से देश दुनिया में इस रेल खंड व ट्वॉय ट्रेन का ऐसा प्रचार प्रसार हुआ कि सैलानियों में टॉय ट्रेन के प्रति दीवानगी बढ़ती गई। 2008 को मिला दर्जा शताब्दी समारोह मनाने के बाद दस जुलाई 2008 को आखिरकार कालका शिमला रेल खंड को विश्व धरोहर का दर्जा मिल गया। इसके बाद विभाग ने नए रेल इंजन मंगवाने, नए एवं आधुनिक कोच तैयार करने जैसी कई सुविधाएं सैलानियों को उपलब्ध करवाई जाने लगी। वैसे तो सैलानी सालभर ट्वॉय ट्रेन के सफर का आनंद उठाते हैं। लेकिन खास तौर पर नववर्ष के आगमन पर, गर्मियों में स्कूलों की छुट्टियों के दौरान और हेरिटेज डे पर ट्वॉय ट्रेन के सुहाने सफर का आनंद उठाने वाले सैलानियों का सैलाब उमड़ जाता है। लेकिन इस वर्ष सुनसान प्लेटफार्म और यार्ड में ट्वॉय ट्रेन के कोच शायद दौड़ने के इंतजार में खडे हैं। इस वर्ष वर्ल्ड हेरिटेज दिवस भी कोरोना के खौफ में लॉकडाउन में बीत गया। इस बारे में स्टेशन अधीक्षक गोकुल सिंह ने बताया कि अभी ट्रेन चलाने का कोई शेडयूल नहीं मिला है और रेल सेवा कब तक बहाल हो सकती है, इस बारे में भी अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है।