कोरोना वायरस ने लोगों को जीने का नया ढंग सिखाया, कुदरत ने भी ली चैन की सांसः डॉ. अमुल्य
डॉ. अमुल्य ने कहा कि इकोलॉजिकल बैलेंस जो पूरी तरह से हिल गया था वह वायरस के आने से भरने लगा क्योंकि मनुष्य घरों में रहे। बाहर प्रकृति को झूमने दिया गुनगुनाने दिया।
चंडीगढ़, [शंकर सिंह]। इंसान में ऐसी खूबी है कि वो बड़ी से बड़ी लड़ाई के लिए खुद को तैयार कर सकता है। कोरोना वायरस के आने से भी यही हुआ, लोगों को कहां इससे लड़ना आता था। किसी ने ऐसी स्थति के बारे में सोचा भी नहीं था कि चार दीवारों में ही बंद होकर रहना पड़ेगा। लेकिन, देखो इस वायरस ने कितना कुछ सिखा दिया। लोगों को पता है कि खुद का बचाव कैसे करना है और समाज को भी सुरक्षित कैसे रखना है। यह कहना है नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. अमुल्या पांडा का।
योगा स्कॉलर्स पीजीआइ द्वारा आयोजित ऑनलाइन सेशन में उन्होंने कोरोना के बाद बदले जीवन पर बात की। इसमें कोरोना काल में पढ़ाई, साइंस और इम्यूनोलॉजी पर होने वाली असर की बात की गई। साथ ही पीजीआइ के डॉ. अक्षय आनंद ने उनसे बात की। डॉ. अमुल्य ने कहा कि लोग तो भूल ही गए थे कि चैन की सांस लेनी कैसे है। एक दूसरे से बात सिर्फ काम के मसले तक ही सीमित थी। लोगों से दुख और सुख साझा करना भूल गए थे। मगर इस वायरस ने सब बदल दिया। लोग एक दूसरे के बारे में सोचने लगे। एक दूसरे के लिए जिम्मेदारी लेने लगे। एक दूसरे से बात करते हैं, फोन करते हैं। आपस में मिल नहीं सकते तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अच्छे से इस्तेमाल करके सबके करीब हैं।
इकोलॉजिकल बैलेंस जो पूरी तरह से हिल गया था, वह वायरस के आने से भरने लगा, क्योंकि मनुष्य घरों में रहे। बाहर प्रकृति को झूमने दिया, गुनगुनाने दिया। गाड़ियां बंद हो गई तो हवा और साफ होने लगी। आसमान खूबसूरत हो गया। नदियों का पानी भी साफ हो गया। जिस ओजोन लेयर को लेकर पूरा विश्व परेशान था, वह ओजोन हॉल इस वायरस के आने से भर गया। इसके साथ साथ सरकार को और पूरे देश को यह एहसास भी हुआ कि एजुकेशन में हैल्थ केयर और मेडिकल एजुकेशन को भी ज्यादा बेहतर बनाना चाहिए। हैल्थ सेक्टर अच्छा होगा तो इकोनोमिक अपने आप बढ़ेगी। लोगों ने सीखा कि सफाई रखना कितना जरूरी है।
वायरस से बचना जरुरी
डॉ अमुल्य ने कहा कि खुद की इम्यूनिटी को बनाए रखना आपका हक है, लेकिन समाज की इम्यूनिटी आपकी जिम्मेदारी है। आपको अपना ध्यान रखना होगा, ताकि समाज ठीक रहे। यह एक फ्लू वायरस है। जैसे नॉर्मल कोल्ड वायरस होता है। इसलिए जितना ज्यादा ट्रांसमिशन रोको, उतनी तबियत ठीक रहेगी। इसके लिए जरूरी है कि रात जो सोने से पहले सरसों का तेल नाक में लगाएं। ताकि इंफेक्शन वायरस से बचा रहा जा सके।