दो महीने में कम नहीं हुआ वजन, अब लौटाने होंगे 10 हजार रुपये
वजन कम करने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन विभिन्न कंपनियों की ओर से कई लुभावने दावे किए जाते हैं। ऐसा ही एक दावा सेक्टर-9 एससीओ नंबर 145-146 फर्स्ट फ्लोर स्थित क्लीनिक डर्माटेक प्राइवेट लिमिटेड ने भी किया था।
वैभव शर्मा, चंडीगढ़।
वजन कम करने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन विभिन्न कंपनियों की ओर से कई लुभावने दावे किए जाते हैं। ऐसा ही एक दावा सेक्टर-9 एससीओ नंबर 145-146 फर्स्ट फ्लोर स्थित क्लीनिक डर्माटेक प्राइवेट लिमिटेड ने भी किया था। लेकिन यह दावा कंपनी को महंगा पड़ गया। कंपनी ने दावा किया था कि वह दो महीने में करीब 10 किलो वजन कम करवाती है। सेक्टर-44बी के रहने वाले सर्बजीत सिंह ने कंपनी से संपर्क किया। कंपनी की ओर से उन्हें कहा कि अगर वह दो महीने तक लगातार उनके 14 सेशन अटैंड करेंगे तो उनका दस किलो वजन कम हो जाएगा। सर्बजीत ने कंपनी की बात मानकर जनवरी 2018 में फीस देकर 10 सेशन अटैंड किए लेकिन वजन कम नहीं हुआ। उन्होंने कंपनी से संपर्क किया तो कंपनी ने उन्हें दस हजार रुपये की फीस के साथ 14 सेशन ओर लगाने के लिए कहा। 25 फरवरी 2018 को उन्होंने 14 दिनों के सेशन के लिए उन्हें दस हजार रुपये दे दिए। वजन कम न होने और राशि वापस न करने की शिकायत उपभोक्ता आयोग में की गई। सुनवाई करते हुए आयोग ने कंपनी को 10 हजार रुपये वापस करने के साथ ही तीन हजार रुपये हर्जाना लगाया और केस खर्च के नाम पर दो हजार रुपये जमा करवाने का आदेश दिया।
ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन की वजह से बीच में छोड़ा सेशन
शिकायतकर्ता ने बताया कि सेशन के बीच में ही उनका ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन हुआ था, जिसकी वजह से वह कंपनी की सेवाओं का लाभ नहीं ले सका। ऑपरेशन होने के बाद उन्होंने कंपनी से अपनी राशि वापस करने के लिए कहा लेकिन कंपनी ने उन्हें राशि वापस करने से मना कर दिया।
आयोग ने भेजा कंपनी को नोटिस, कंपनी ने लेने से किया मना
शिकायत पर आयोग ने एक जुलाई 2021 को कंपनी को एक लीगल नोटिस भेजा था। इसमें कंपनी को अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया था। लेकिन कंपनी के एमडी और वहां के कर्मचारियों ने नोटिस लेने से मना कर दिया। इस बात को लेकर आयोग ने कहा कि नोटिस न लेकर कंपनी ने यह बता दिया कि उन्होंने शिकायतकर्ता को झूठ बोला था। वजन कम करने के नाम पर उपभोक्ताओं को लुभावने सपने दिखाए गए जो कानूनी गलत है। वहीं कंपनी की ओर से आयोग में कोई भी अपना पक्ष रखने के लिए नहीं आया।