शहर में नहीं है इकलौता सिंथेटिक ट्रैक, युवाओं से कैसे करें इंटरनेशनल मेडल की उम्मीद
आज वर्ल्ड एथलेटिक्स डे है हर साल इस दिन को हम बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। उन सभी एथलीट्स को याद करते हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए मेडल जीते हैं लेकिन यह सब इस दिन को मनाने तक सीमित रहता है
विकास शर्मा, चंडीगढ़
आज वर्ल्ड एथलेटिक्स डे है, हर साल इस दिन को हम बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। उन सभी एथलीट्स को याद करते हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए मेडल जीते हैं, लेकिन यह सब इस दिन को मनाने तक सीमित रहता है। इसके बाद एथलेटिक्स गेम्स को बढ़ावा देने के लिए कोई गंभीरता नहीं दिखती है। यही वजह है कि देश को आजाद हुए इतने साल बाद ओलंपिक में कोई भारतीय धावक मेडल नहीं जीत सका। जब भी बड़े खेल टूर्नामेंट होते हैं, तो मेडल टेली देखकर खेलप्रेमियों के हाथ निराशा ही हाथ लगती है। इसके पीछे वजहों की तलाश करें तो इतना ही जानना काफी है कि पद्मश्री उड़न सिख मिल्खा सिंह के शहर में अभी भी तक इकलौता सिंथेटिक ट्रैक नहीं हैं। इंटरनेशनल स्तर पर इस वजह से पिछड़ जाते हैं एथलीट
स्पोर्ट्स हब के तौर पर पहचान बनाने वाले चंडीगढ़ में अभी एक भी सिंथेटिक ट्रैक नहीं है। जिस वजह से एथलीट्स को मजबूरन कच्चे ट्रैक पर दौड़ना पड़ता है। कच्चा ट्रैक मिट्टी व सीमेंट से बना होता है। इस ट्रैक पर दौड़ने से चोट लगने का हमेशा डर रहता है, इसलिए खिलाड़ी अपनी लय में प्रैक्टिस नहीं कर पाते और लय बिगड़ने से वह अपनी प्रैक्टिस में पिछड़ जाते हैं। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के तमाम टूर्नामेंट सिंथेटिक ट्रैक पर होते हैं। ऐसे में जब भी कोई बड़ा टूर्नामेंट होता है तो सिंथेटिक ट्रैक पर दौड़ने का अभ्यास नहीं होने की वजह से हमारे एथलीट्स की स्पीड नहीं बन पाती और वह मेडल जीतने से पिछड़ जाते हैं। शहर में नहीं हो पाते नेशनल स्तर के बड़े टूर्नामेंट एथलेटिक्स मीट
एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट प्रो. रवींद्र चौधरी ने बताते हैं कि नेशनल व इंटरनेशनल स्तर के तमाम बड़े टूर्नामेंट सिंथेटिक ट्रैक पर होते हैं। ऐसे में हमारे कई एथलीट हैं जोकि रोजाना सुबह शाम प्रैक्टिस करने के लिए पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में जाते हैं। इसमें इन एथलीट के रोजाना 2 से 3 घंटे आने जाने में बर्बाद हो जाते हैं। पिछले साल चंडीगढ़ में नेशनल इंडियन ग्रैंड प्री चंडीगढ़ होना तय था, लेकिन सिंथेटिक ट्रैक नहीं होने की वजह से बाद में यह पटियाला में हुआ। मिल्खा सिंह भी कर चुके हैं कई बार मांग
उड़न सिख पदमश्री मिल्खा सिंह भी कई मंचों से खिलाड़ियों के लिए स्थिेंटिक ट्रैक जल्द बनाने की मांग कर चुके हैं। मिल्खा सिंह कहते है कि दौड़ ही सब खेलों की मां है, जब खिलाड़ी दौड़ लगाएंगे तो उनकी फिटनेस अच्छी होगी और फिटनेस अच्छी होगी तो खिलाड़ी चाहे किसी भी खेल में हों मेडल जरूर आएंगे। इसलिए शहर में जल्द से जल्द सिंथेटिक ट्रैक बनाया जाना चाहिए। इसमें हो रही देरी समझ से परे है।