हेडअप डिस्प्ले तकनीक युक्त पांचवा देश बना भारत, LCA Tejas की मारक क्षमता होगी और अचूक
एचयूडी टेक्नोलॉजी से फाइटर पायलट को कॉकपिट में बने ग्लास पर ही सभी जरूरी जानकारी एकदम सटीक मिलेगी। दुश्मन के ठिकानों पर सौ फीसद अचूक निशाना लगाया जा सकेगा।
चंडीगढ़ [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। दुश्मन की नापाक हरकतों का जवाब भारत अब और कारगर तरीके से देगा। लड़ाकू विमानों का निशाना एकदम अचूक होगा। देश में बने फाइटर एयरक्राफ्ट तेजस की मारक क्षमता को मजबूत बनाने में चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआइओ) ने खास टेक्नोलॉजी हेडअप डिस्प्ले (एचयूडी) इमेज को तैयार किया है। दो हजार किलोमीटर प्रति घटे की रफ्तार वाले तेजस को उड़ाने वाले पायलट को दुश्मन पर हमला करने के साथ ही अन्य प्रणाली पर नियंत्रण के लिए अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।
शुक्रवार को चंडीगढ़ सीएसआइओ के डायरेक्टर डॉ. आरके सिन्हा की उपस्थिति में एचयूडी टेक्नोलॉजी को पंचकूला की भारत इलेक्ट्रोनिक लिमिटेड (बीईएल) को सौंपा गया। परीक्षण में नई टेक्नोलॉजी के शानदार परिणाम रहे। अब लड़ाकू विमानों में सीएसआइओ द्वारा तैयार टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाएगा। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाला भारत दुनिया का पाचवा देश एचयूडी इमेज टेक्नोलॉजी को सीएसआइओ के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. विनोद करार की देखरेख में तैयार किया गया है।
चंडीगढ़ः एचयूडी इमेज टेक्नोलॉजी को सीएसआइओ के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. विनोद करार की देखरेख में तैयार किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस टेक्नोलॉजी से लड़ाकू विमान तेजस की मारक क्षमता और पायलट की सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। दुनिया में इस टेक्नोलॉजी को विकसित करने वाला भारत पांचवां देश है। यह टेक्नोलॉजी इजराइल, फ्रास, यूके व यूएसए के पास पहले से ही है।
फाइटर पायलट को मिलेगा यह लाभ
एचयूडी टेक्नोलॉजी से फाइटर पायलट को कॉकपिट में बने ग्लास पर ही सभी जरूरी जानकारी एकदम स्टीक मिलेगी। दुश्मन के ठिकानों पर सौ फीसद अचूक निशाना लगाया जा सकेगा। परीक्षण के बाद 37 एचयूडी इमेज के ऑर्डर दिए जा चुके हैं। प्रति यूनिट इस टेक्नोलॉजी पर 90 लाख के करीब खर्च आएगा जबकि दूसरे देश से लेने पर एक से सवा करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते थे। हर लड़ाकू विमान में एचयूडी की दो यूनिट लगाई जाएंगी ताकि एक खराब होने पर दूसरे का इस्तेमाल किया जा सके।
सीएसआइओ चंडीगढ़ द्वारा तैयार नई टेक्नोलॉजी से लड़ाकू विमानों की मारक क्षमता और बेहतर होगी। पूरी टीम ने काफी लंबे समय तक इस पर काम किया। परिणाम भी काफी अच्छे मिले हैं। इंस्टीट्यूट के लिए यह बड़ी उपलब्धि है।
-डॉ. विनोद करार, चीफ साइंटिस्ट एंड हेड ऑप्टिक्स बेस्ड स्ट्रेटेजिक इंस्ट्रूमेंटेशन सीएसआइओ, चंडीगढ़
यह पूरी तरह से स्वदेशी टेक्नोलॉजी है, जिसे कम लागत में तैयार किया गया है। सीएसआइओ ने अब कामर्शियल एयरक्राफ्ट से लेकर वाहनों तक में एचयूडी टेक्नोलॉजी को विकसित करने पर काम शुरू कर दिया है। लड़ाकू विमान में भी इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा सकेगा। टेक्नोलॉजी के मामले में भारत अब आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा रहा है।
-डॉ. सुरेंद्र सिंह सैनी, हेड बिजनेस इनोवेटिव एंड प्रोजेक्ट प्लानिंग सीएसआइओ, चंडीगढ़