Move to Jagran APP

दो युवाओं ने मिलकर खोजी प्रदूषित हवा को शुद्ध करने की टेक्नीक

हवा से कार्बन के कण जमा कर इसे फिर स्वच्छ कर वापस छोड़ दिया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 07:15 PM (IST)Updated: Fri, 29 Nov 2019 07:15 PM (IST)
दो युवाओं ने मिलकर खोजी प्रदूषित हवा को शुद्ध करने की टेक्नीक
दो युवाओं ने मिलकर खोजी प्रदूषित हवा को शुद्ध करने की टेक्नीक

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पिछले काफी दिनों से राजधानी दिल्ली से लेकर पूरा देश वायु प्रदूषण को लेकर चिंतित है। हवा में पर्टिक्यूलेट मेटर इतने बढ़ गए कि स्कूलों को बंद कर लोगों को बाहर भी जरूरी कार्य से ही निकलने की सलाह दी गई। हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात बने हुए हैं। इसी समस्या का हल चंडीगढ़ के दो युवाओं ने स्टार्टअप इंडिया प्रोजेक्ट के तहत नई टेक्नीक को ईजाद कर निकाला है। सेक्टर-50 निवासी मनोज जेना और नितिन आहलूवालिया ने सेंसर और सक्शन पावर का इस्तेमाल कर इस उपकरण तैयार किया है। उपकरण की खास बात यह है कि हवा में फैले पर्टिक्यूलेट मेटर को खींचकर सेंसर के जरिये एक जगह जमा कर लेता है और इससे वातावरण साफ होता जाता है। एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहतर होने के साथ तापमान भी कम होने लगता है। इससे ग्लोबल वार्मिग का असर भी कम हो सकता है। शुक्रवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में प्रोजेक्ट की जानकारी दी गई। इंडस्ट्री की चिमनी, बेसमेंट पार्किग और ट्रैफिक सिग्नल पर होगा इंस्टॉल

loksabha election banner

मनोज जेना ने बताया कि वे तीन साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। अब जाकर सफलता मिली है। उन्होंने प्रोजेक्ट का ग्राउंड लेवल पर टेस्ट करने के बाद पेटेंट के लिए रजिस्टर्ड भी करा लिया है। संस्कृत के शल शब्द को प्रोजेक्ट का नाम दिया है। एक बेसमेंट पार्किग में जमा पीएम मेटर को कम करने पर प्रोजेक्ट का ट्रायल किया गया। पहले पार्किग धुंधली दिख रही थी लेकिन कुछ घंटों के बाद यह एकदम साफ हो गई। इंडस्ट्री की चिमनी में इसे इंस्टाल कर निकलने वाले काले धुएं को इससे साफ कर हवा में छोड़ा जा सकता है। बेसमेंट पार्किग में अकसर प्रदूषण अधिक होता है, वहां भी इसे इंस्टाल कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात इसे ट्रैफिक सिग्नल पर भी लगा सकते हैं। एक जगह लगने के बाद यह चारों तरफ एक किलोमीटर एरिया को क्लीयर करेगा। एक ट्रैफिक सिग्नल पर इंस्टाल करने का खर्च लगभग 27 लाख रुपये आएगा। ऐसे करता है काम

मनोज और नितिन ने बताया कि चाइना करोड़ों रुपये खर्च कर एयर क्लीन टावर लगा रहा है। इसमें न तो करोड़ों खर्च करने की जरूरत है और न ही कोई बड़ी मशीनरी लगानी होगी। प्रोजेक्ट को पेटेंट होने के बाद डिस्प्ले करेंगे। लेकिन यह बता दूं कि हवा में फैले पॉल्यूटेड कणों को पहले सक्शन होता है। फिर यह आगे कई सेंसर में से गुजरते हैं। जिससे कण वहीं जमा हो जाते हैं। कीचड़ के रूप में यह कण जमा हो जाते हैं। पीएम-10 और 2.5 जैसे कण कम होने पर वातावरण खुद साफ दिखने लगता है। यह पूरी तरह ऑटो बेस्ड सिस्टम है जिसे स्काडा कंट्रोल रूम से कनेक्ट किया जा सकता है। पॉल्यूशन की स्थित को भांपकर यह खुद काम करेगा, अपने आप क्लीनिग भी कर लेगा। अब मदद के लिए ढूंढ़ रहे हाथ

मनोज ने बताया कि उनका चैलेंज है अगर उन्हें 10 किलोमीटर रोड दिया जाए तो वह शहर के दूसरे रोड के मुकाबले प्रदूषण नियंत्रण कर दिखा देंगे। अपने इस सिस्टम के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखा था। पीएमओ ने चिट्ठी सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भेज दी। लेकिन सीपीसीबी से अभी तक किसी जवाब का इंतजार है। पेशे से सिविल इंजीनियर मनोज ने कहा कि वह प्रोजेक्ट पर 30 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं, अब इससे ज्यादा मुश्किल है। इसलिए सरकार से मदद की अपील कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.