दिव्यांग होने का मजाक उड़ाया तो भंगड़े में परफेक्ट बन कर दिखाया : हरिंदर पाल सिंह
नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर द्वारा आयोजित एक माह के उत्सव में हरिंदर ने सेंटर के निदेशक सौभाग्य वर्धन से बातचीत की। उन्होंने कहा कि बचपन से ही वह दिव्यांग है लेकिन उनके घर और उनके मित्रों ने कभी इसका एहसास नहीं दिलाया बल्कि उनकी प्रेरणा बने।
चंडीगढ़, [शंकर सिंह]। भंगड़े का बचपन से ही दीवाना रहा, मैंने कभी खुद को दिव्यांग होते हुए कमजोर नहीं माना। वर्ष 1989 मैं मुझे शहर के एक प्रतिष्ठित ग्रुप के साथ नृत्य करने का मौका मिला। दरअसल उस ग्रुप में एक मेंबर की कमी थी, जहां से मेरा चयन हुआ। लेकिन उस ग्रुप के सदस्यों ने मेरे दिव्यांग होने के साथ भंगड़ा करने की शैली का मजाक उड़ाया। मुझे बुरा तो लगा लेकिन मैंने हार नहीं मानी। इसके बाद मैंने भंगड़े में नाम बनाया और साथ ही दिव्यांग से जुड़ा एक ग्रुप भी बनाया। खुशी हुई कि इसी ग्रुप को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया। भंगड़े से जुड़े अपने प्यार को कुछ नहीं शब्दों में बयां किया हरिंदर पाल सिंह ने।
नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर द्वारा आयोजित एक माह के उत्सव में हरिंदर ने सेंटर के निदेशक सौभाग्य वर्धन से बातचीत की। उन्होंने कहा कि बचपन से ही वह दिव्यांग है लेकिन उनके घर और उनके मित्रों ने कभी इसका एहसास नहीं दिलाया बल्कि उनकी प्रेरणा बने।
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपयी के सामने प्रस्तुति देना रहा खास
हरिंदर ने कहा कि 90 के दशक में उन्हें लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय युवा महोत्सव में हिस्सा लेने का मौका मिला। जहां उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के सम्मुख प्रस्तुति दी। हरिंदर ने कहा कि वह पल मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण था। देश के प्रधानमंत्री के सामने जब प्रस्तुति दी तो ऐसे लगा कि जैसे मैंने सभी चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपने लिए खास मुकाम बनाया है। मैं आज भी उन सभी लोगों को प्रेरित करता हूं जो दिव्यांग है लेकिन अपने दिल में कुछ करने की तमन्ना रखते हैं। हरिंदर इन दिनों पंजाब वास्तुकला विभाग में वास्तु कला सहायक के रूप में काम कर रहे हैं। साथ ही आज भी वह देश विदेश में अपने ग्रुप के साथ प्रस्तुति देते हैं।