Lockdown में Digital India के लिए तैयार हो रहे शिक्षक, Online Studies पर सर्वे
लॉकडाउन Digital India की बुनियाद रख रहा है। 90.2 फीसद स्कूल शिक्षक पहली बार ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। Coronavirus के बाद हुए लॉकडाउन में सभी शैक्षिणक इंस्टीट्यूट ने ऑनलाइन पढ़ाई को अपनाया है। देश में पहली बार बड़ी संख्या में ऑनलाइन कक्षाएं लगाई जा रही हैं। स्टूडेंट्स हो या फिर टीचर्स सभी ने ऑनलाइन मैथेड को अपनाया है। इन सबके बीच देव समाज कॉलेज ऑफ एजुकेशन की शिक्षिका डॉ. अनीता नांगिया एवं डॉ. सीमा सरीन ने चंडीगढ़ के अलावा पंजाब के शैक्षणिक संस्थानों में आनलाइन शिक्षा पर सर्वे किया गया। सर्वे में पाया गया कि 90.2 फीसद स्कूल शिक्षक पहली बार ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं।
3550 शिक्षक हुए सर्वे में शामिल
सर्वे में विभिन्न सरकारी, मान्यता प्राप्त निजी व सरकारी सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के कुल 3,550 शिक्षक शामिल हुए। सैम्पल सर्वे में 38.6 फीसद प्राथमिक शिक्षक (पीटी), 33.9 फीसद प्रशिक्षित ग्रेजुएट शिक्षिक (टीजीटी) और 27.5 फीसद पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक (पीजीटी) शामिल हुए।
61.66 फीसद शिक्षकों को आई ऑनलाइन संसाधनों की समस्या
सर्वें में 61.66 फीसद शिक्षकों को कुछ हद तक शिक्षण सामग्री और संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ा। 7.7 फीसद को थोड़ी-बहुत समस्या आई, जबकि 33.56 फीसद शिक्षकों को किसी तरह की समस्या नहीं हुई। ऐसे ही, 17.30 फीसद शिक्षकों को किसी भी तकनीकी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। करीब 64.62 फीसद को समस्याएं हुईं, जबकि 18.08 फीसद को काफी हद तक परेशानी हुई। छात्रों के लिए इंटरनेट सुविधाओं की कमी से 17.27 फीसद शिक्षकों को कोई समस्या नहीं हुई, जबकि 82.73 फीसद को इससे कुछ हद तक समस्या हुई।
ऑनलाइन पढ़ाई में व्हाट्सएप रहा सबसे आगे
अधिकांश शिक्षक (32.75 फीसद) ऑनलाइन शिक्षण के दौरान छात्रों को नोट्स और जरूरी वीडियो भेजने के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं। इसके बाद क्लाउड मीट(31.94 फीसद), शिष्य व दीक्षा जैसे अन्य एप (19.02 फीसद) के अलावा गूगल एप (16.08 फीसद) का प्रयोग कर रहे हैं।
सर्वे में यह पाए गए ऑनलाइन शिक्षा के नुकसान
सर्वे में पाया गया कि ऑनलाइन कक्षाओं के कई नुकसान भी हैं। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान आदि विषयों में प्रेक्टिकल वर्क कराने का कोई तरीका नहीं है। दूसरा, बच्चे के मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास के भौतिक पहलुओं की पूरी तरह से उपेक्षा हो जाती है। तीसरा, शारीरिक शिक्षा केवल सैद्धांतिक रूप से नहीं सिखाई जा सकती।