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बॉर्डर एरिया में बच्चों की शिक्षा में न आए रूकावट, इसलिए कर रहे हरसंभव मदद

पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट विवेक चौहान भी जय के साथ जुड़े हुए है। उनके अलावा चंडीगढ़ से ही 22 लोग इस मुहीम के साथ जुड़े हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 10:53 AM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 10:53 AM (IST)
बॉर्डर एरिया में बच्चों की शिक्षा में न आए रूकावट, इसलिए कर रहे हरसंभव मदद
बॉर्डर एरिया में बच्चों की शिक्षा में न आए रूकावट, इसलिए कर रहे हरसंभव मदद

चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। इंसान में अगर कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो वह हर असंभव कार्य को संभव कर देता है। ऐसा ही कुछ शहर का एक इंसान कर रहा है और उनका नाम है जय। जय पेशे से शिक्षक है और वह लद्दाख, जम्मू और कश्मीर के उन इलाकों में बच्चों की मदद कर रहे है जहां पहुंचना साधारण व्यक्ति की सोच से बाहर है। जी हां! इन तीनों राज्यों में कई गांव ऐसे है जो बिल्कुल बॉर्डर से सटे हुए है, जहां कब गोलाबारी शुरू हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। जय अपनी टीम के इन इलाकों में स्वयं जाकर बच्चों को स्टेशनरी देते है।

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इस काम के लिए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट विवेक चौहान भी जय के साथ जुड़े हुए है। उनके अलावा चंडीगढ़ से ही 22 लोग इस मुहीम के साथ जुड़े हैं। बच्चों की मदद इसलिए की जा रही है ताकि उन्हें अपनेपन का ऐहसास कराया जाए कि वह इन इलाकों में अकेले नहीं हैं, पूरा देश उनके साथ खड़ा है। बच्चों की मदद करने के लिए वर्ष 2013 में जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख स्टडी सेंटर नाम से एनजीओ बनाई गई थी।

केजे सिंह की मदद से होती है आसानी

पीवीएसएम-एवीएसएम एवं बार लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह ने हम बॉर्डर एरिया के जाकर क्या करते है, इस बात का पता लगाया। जब उन्हें हमारा उद्देश्य पता लगा तो वह भी इसके साथ जुड़ गए और हमारी हर संभव करते है। बॉर्डर एरिया में जाने के लिए केजे सिंह द्वारा संबंधित एरिया के कंपनी कमांडर को लेटर लिख पर परमिशन मांगी जाती है। उसके बाद उस कंपनी के जवान टीम के साथ एरिया में जाते है।

एक साल में पांच विजिट

जय और उनकी टीम इन तीनों राज्यों के विभिन्न इलाकों में एक साल में पांच बार दौरा करते है। इस दौरान वह जाने से पहले संबंधित एरिया के प्रतिनिधिमंडल को फोन कर आने की जानकारी दे देते है। इस कार्य के लिए टीम के साथ बात कर कैलेंडर बनाया जाता है। उनका ज्यादा फोकस स्कूलों पर रहता है क्योंकि बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए।

बच्चों की हंसी, बनती है टीम की खुशी

टीम के सभी सदस्यों ने बताया कि उन्हें यह कार्य करने में बहुत खुशी मिलती है। वह किसी से चंदे के रूप में पैसे नहीं लेते है बल्कि बुक्स, स्टेशनरी का सामान, लंच बॉक्स आदि दान देने के लिए बोलते है। लॉकडाउन में भी एनजीओं के सदस्यों ने पूरी कानूनी प्रक्रिया को फोलो करते हुए इन इलाकों में सेनिटाइजर, मास्क जैसी जरूरत की चीजों को पहुंचाया था।

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