आर्थिक स्थिति सुधारने का तमन्ना समूह का प्रयास, सिलाई से पा रही आमदन
2010 में शादी के बाद बिहार से शहर आई तो देखा कि लोगों की आर्थिक स्थिति खराब है। घर में एक कमाने वाला है तो पांच से आठ लोग खाने वाले हैं। इसे देखकर शहर की रूबी ने शुरू किया तमन्ना स्वयं सहायता समूह।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़
2010 में शादी के बाद बिहार से शहर आई तो देखा कि लोगों की आर्थिक स्थिति खराब है। घर में एक कमाने वाला है तो पांच से आठ लोग खाने वाले हैं। इसे देखकर शहर की रूबी ने शुरू किया तमन्ना स्वयं सहायता समूह। 2014 में शुरू हुआ समूह बीते आठ साल से शहर में काम कर रहा है और इससे जुड़ी महिलाएं पांच से आठ हजार रुपये महीने कमा रही हैं। महिलाओं का काम विभिन्न सरकारी और व्यापारिक संगठनों की मांग को पूरा करने के लिए सिलाई का काम करके देना है। समूह का कार्य कपड़े के थैलों से लेकर मास्क और विभिन्न प्रकार की शर्ट और टी-शर्ट को तैयार करना है। समूह से शहर की 100 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई है जो कि तमन्ना स्वयं सहायता समूह की सदस्य होने के साथ-साथ उसकी सहयोगी संस्था बनकर भी खुद के घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है।
धनास कालोनी से संचालित हो रहा समूह
तमन्ना स्वयं सहायता समूह शहर की धनास कालोनी से संचालित हो रहा है। समूह की संस्थापक रूबी विभिन्न सरकारी और व्यापारिक संगठनों से टाइअप करके आर्डर लेकर आती है और उसे पूरा करने के लिए महिलाओं से काम करवाती है। कोरोना काल में तमन्ना समूह ने नगर निगम चंडीगढ़ के लिए 30 हजार मास्क प्रति 10 रुपये बनाकर दिए। इसी प्रकार से विभिन्न समाजिक संगठनों के लिए 70 हजार से ज्यादा मास्क बनाकर बेचें और कमाई की।
महिलाओं को सशक्त करने का प्रयास
स्वयं सहायता समूह की संस्थापक रूबी ने बताया कि स्वयं सहायता समूह का प्रयास महिलाओं को सशक्त करना है। इसके लिए महिलाएं पहले थोड़े-थोड़े पैसे डालकर इकट्ठे करती है और काम शुरू करने वाली महिला को आर्थिक मदद देती है। एक बार महिला की जरूरत पूरी करने के बाद वह समूह को मिले हुए काम को पूरा करती है। यह काम महिलाएं घर बैठकर ही करती है और समय और जरूरत के अनुसार काम करती हुई बेहतर आमदनी करती है।