टाटा केमलाट हाउसिंग प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट की नो, सुखना के पास 53 एकड़ में बनने थे 19 टावर
सुखना लेक और कैपिटल कॉन्प्लेक्स के पास टाटा हाउसिंग द्वारा अट्ठारह सौ करोड़ रुपये की लागत से 53 एकड़ जमीन में मल्टीस्टोरी फ्लैट बनाए जाने थे।
चंडीगढ़, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने सुखना लेक के पास टाटा हाउसिंग को टाटा कैमलाट प्रोजेक्ट की अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। सुखना लेक और कैपिटल कॉन्प्लेक्स के पास टाटा हाउसिंग द्वारा अट्ठारह सौ करोड़ रुपये की लागत से 53 एकड़ जमीन में मल्टीस्टोरी फ्लैट बनाए जाने थे। कंपनी की योजना यहां 35 स्टोरी 19 टावर तैयार करने की थी।
इस प्रोजेक्ट में पंजाब के बड़े नेताओं की जमीन थी जिसकी एवज में उन्हें इस प्रोजेक्ट में लग्जरी फ्लैट दिए जाने थे। इस प्रोजेक्ट के खिलाफ शहर की ही एक संस्थान ने याचिका दायर की थी। यह प्रोजेक्ट सुखना केचमेंट एरिया के साथ ही लगता है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा की खंडपीठ ने इस प्रोजेक्ट को नियमों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि सुखना कैचमेंट एरिया के साथ होने के कारण इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।
यह है मामला
वर्ष 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रोजेक्ट के लिए सुखना कैटमेंट एरिया गांवों की पंचायत की ओर दी गई अनुमति को सेट असाइड कर दिया था। कोर्ट ने प्रोजेक्ट के लिए संबंधित एजेंसियों की ओर से दी गई पर्यावरण क्लीयरेंसेस को भी मानने से इन्कार कर दिया था। कोर्ट ने अपने निर्णय पर पुर्नविचार करने के लिए कहा था। कोर्ट का उक्त आदेश अधिवक्ता आलोक जग्गा की याचिका पर दिया था। टाटा हाउसिंग ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
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