सुखना लेक का जलस्तर फिर खतरे के निशान से ऊपर, कभी भी खोलने पड़ सकते हैं फ्लड गेट
सुखना लेक में फॉरेस्ट कैचमेंट एरिया से पानी का आना लगातार जारी है। लेक से लाखों लीटर पानी छोड़ने के बाद भी एक फीट तक जलस्तर फिर बढ़ गया है।
चंडीगढ़, जेएनएन। शहर की लाइफलाइन सुखना लेक फिर पानी से लबालब हो गई है। जलस्तर एक बार फिर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है। इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की टीम जलस्तर पर नजर बनाए हुए हैं। अब फिर से कभी भी सुखना के फ्लड गेट खोले जा सकते हैं। इसके लिए प्रशासन अलर्ट पर है। इसका कारण यह है कि सुखना लेक में फॉरेस्ट कैचमेंट एरिया से पानी का आना लगातार जारी है। पानी फ्लो के साथ पहाड़ों से लेक में पहुंच रहा है। जिस वजह से लाखों लीटर पानी छोड़ने के बाद भी एक फीट तक जलस्तर फिर बढ़ गया है। कैचमेंट एरिया से ही लेक में पानी आता है। यहां बरसात शहर से ज्यादा होती हैं। कारण फारेस्ट और पहाड़ी एरिया है। पहाड़ों में थोड़े से बादल के बाद ही बरसात शुरू हो जाती है।
एक महीना पहले ही खुले इस बार फ्लड गेट
अब देखना यह होगा कि कब फ्लड गेट खुलते हैं। अगर ऐसा होता है तो यह पहली बार होगा जब एक ही साल में दो बार फ्लड गेट खुलेंंगे। इसका कारण यह भी है कि 2018 में फ्लड गेट 25 सितंबर को खुले थे। जबकि 2020 में 23 अगस्त को ही जलस्तर बढ़ने पर इन्हें खोलना पड़ा। एक महीना पहले ही फ्लड गेट खोलने पड़े। जबकि अभी मॉनसून का एक पूरा स्पैल पड़ना बाकी है। सितंबर के अंत तक बरसात की संभावना जताई जा रही है। इसी को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि फ्लड गेट दोबारा खुलते रहेंगे। सुखना लेक का जलस्तर 1163.70 फीट के पास है। 1163 से ऊपर खतरे के निशान से ऊपर समझा जाता है।
कैचमेंट एरिया में गाद रोकने के लिए बनाए डैम सालों से नहीं किए साफ
सुखना लेक में पानी के साथ गाद भी बहकर पहुंचती है। यह गाद सालों से तलहटी में जमा होती रही है। जिससे लेक की पानी क्षमता घट चुकी है। यही वजह है कि लेक जल्दी भर रही और फिर सूखती भी उतनी ही तेजी से है। इस गाद को कैचमेंट एरिया में ही रोकने के लिए सालों पहले 150 से अधिक डैम बनाए गए थे। जिससे गाद इन डैम में ही बैठ जाए और पानी बहकर सुखना लेक में पहुंचे। लेकिन बनने के बाद कभी भी इन डैम की सुध प्रशासन ने नहीं ली। सभी डैम गाद से भर चुके हैं। जिससे पानी सीधे ही लेक में गाद के साथ पहुंच रहा है। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने प्रशासन को गाद निकालने के आदेश दिए थे। नैनिताल लेक से लेकर दूसरी लेक के उदाहरण इसके लिए दिए गए थे। ऐसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया था जिसमें बिना पानी निकाले ही गाद निकल सके। बावजूद इसके इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट गाद निकालने का काम शुरू नहीं कर सका।
पानी के रास्ते में अवैध निर्माण, जल प्रलय का कारण
सुखना लेक के फ्लड गेट खोलते ही जीरकपुर एरिया जलमग्न हो गया। इसका सबसे बड़ा कारण अवैध निर्माण है। मक्खन माजरा से आगे जीरकपुर में कई जगह सुखना चौ के आस-पास ही अवैध निर्माण के बाद इमारतें खड़ी हो चुकी हैं। प्राइवेट बिल्डरों ने आस-पास जमीन पर कब्जा कर मिलीभगत से कॉलोनी काट दी। जिससे अब जब भी पानी छोड़ना पड़ता है तो रास्ता नहीं मिलने से यह रेजिडेंशियल एरिया में घुस रहा है। पटियाला की राव में भी बरसात के दिनों में पानी बड़े स्तर पर आता है। इसके रास्ते में भी कई अवैध कंस्ट्रक्शन हो चुकी है। पंजाब-हरियाणा में पड़ने वाले सुखना कैचमेंट एरिया के अंदर भी सैकड़ों अवैध निर्माण हो चुके हैं। हाई कोर्ट भी इस मामले में कई बार आदेश दे चुका है।