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स्ट्रे नहीं हमारे अपने हैं ये डॉग्स

एक दिन सुबह उठा तो देखा, घर के बाहर किसी ने दो छोटे कुत्ते के पिल्ले गेट पर छोड़े हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Jan 2019 08:51 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 08:51 PM (IST)
स्ट्रे नहीं हमारे अपने हैं ये डॉग्स
स्ट्रे नहीं हमारे अपने हैं ये डॉग्स

शंकर ¨सह, चंडीगढ़ : मुझे हर जानवर से प्यार है। एक दिन सुबह उठा तो देखा, घर के बाहर किसी ने दो छोटे कुत्ते के पिल्ले गेट पर छोड़े हुए हैं। ये काफी कमजोर थे। चोट भी लगी थी। इलाके में सबको पता था कि मैं जानवरों से कितना प्यार करता हूं। मैंने दोनों ही पिल्लों की देखभाल की। उन्हें खाना खिलाया और इलाज करवाया। आज दोनों छह महीने के हो गए हैं और स्वस्थ हैं। मेरे अनुसार हर जानवर प्यार का भूखा होता है, जैसे इंसानों में नस्लभेद बुरा है, वैसे ही जानवरों में भी। सोशल एक्टिविस्ट गुरजसजीत ¨सह ने कुछ इन्हीं शब्दों में अपने दो पेट्स के बारे में जानकारी दी। जो इन्हें लेकर सुखना लेक में पहुंचे। इनका उद्देश्य स्ट्रे डॉग्स को लोगों द्वारा अडॉप्ट करवाना है। साथ ही, लोगों को इनके प्रति जागरूक करना है। गुरजसजीत ने लेक में पहुंचे कई लोगों को स्ट्रे डॉग्स को अडॉप्ट करने की अपील की। बेटी की वजह से मुझे भी इनसे प्यार हो गया

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हाउफवाइफ ¨डपल ने कहा कि उन्होंने कभी स्ट्रे डॉग्स के बारे में ऐसा नहीं सोचा था। जैसे सभी सोचते हैं कि इनकी जगह केवल गलियां ही होती हैं। मगर घर में भी इन्हें कोई पाल सकता है, ये नहीं सोचा था। मेरी बेटी को जानवरों से बहुत लगाव है। तनिष्का एक बार घर में ऐसा ही स्ट्रे डॉग को लाई। पहले मुझे बहुत अजीब लगा, मगर धीरे-धीरे हमने इसे परिवार के सदस्य की तरह पाला। मुझे इसमें कोई अंतर नहीं लगा कि आप स्ट्रे डॉग्स को अपने घर में जगह देते हैं या किसी और नस्ल के कुत्ते को। ये बहुत वफादार हैं और आपके सच्चे दोस्त बनते हैं। 12 स्ट्रे डॉग्स को दी शरण

जीबी गोराया और उनकी पत्नी भी इस दौरान लेक में पहुंचे। उन्होंने कहा कि लोगों में वहम है कि ये डॉग्स दूसरी नस्ल से कम होते हैं। ये बहुत ही दोस्ताना नेचर के होते हैं। दरअसल, इंसान के बीच ही रहते हैं, कुछ भी दो खा लेते हैं। ऐसे में आप इन्हें बहुत ही आसान तरीके से पाल सकते हैं। मेरे घर के पास हाल ही में 12 कुत्ते के बच्चे पैदा हुए, सोसायटी ने तो इनके लिए काफी कंप्लेंट की। मगर हम इनको हमेशा अपने घर का हिस्सा ही मानते हैं। जानवरों को समर्पित है जीवन

जयरूप ने कहा कि उन्हें जानवरों से बहुत प्यार है। पहले दिल्ली में जॉब करती थी, मगर फिर चंडीगढ़ में वापस आकर इनके लिए कई संस्थाओं के साथ काम किया। इन दिनों लोगों में अवेयरनेस है, वो इन कुत्तों को अपना रहे हैं, मगर जरूरत है तो ज्यादा से ज्यादा इंसानियत को फैलाने की। आज भी मोहल्ले में कितनी ही घटना होती है, जिसमें इन पर अत्याचार होता है। मेरे अनुसार हमें इनके साथ इंसान की तरह प्यार करना चाहिए। पहले भी अडॉप्ट किया है इन्हें

सुखना में चल रहे अडॉप्शन प्रोग्राम में दीपांशु ने एक स्ट्रे डॉग को अडॉप्ट किया। उन्होंने कहा कि उनके कजिन ने बहुत पहले एक स्ट्रे डॉग को अडॉप्ट किया, तो उन्हें लगा कि ये डॉग्स भी बहुत नॉर्मल होते हैं। ऐसे में मेरे लिए इनके दिल में एक अलग जगह बनी। आज इसलिए ही इसे अडॉप्ट करने आया हूं।


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