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पंजाब में पार्टियों के वोट बैंक पर कब्जे की सियासत में उलझी पराली समस्‍या, फिर खेताें में जल रही

पंजाब में पराली समस्‍या पार्टियों की सियासत में उलझ गई है। राज्‍य में सभी दल वोट बैंक की राजनीति के कारण खेताें में पराली जलाने की समस्‍या बढ़ रही है। राज्‍य में इस बार भी खेतों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 10:56 AM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 10:56 AM (IST)
पंजाब में पार्टियों के वोट बैंक पर कब्जे की सियासत में उलझी पराली समस्‍या, फिर खेताें में जल रही
पंजाब में खेत में पराली जलाते किसान। (फाइल फोटाे)

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। नए कृषि कानूनों का का विरोध कर रहे किसानों के वोट बैंक पर हर राजनीतिक दल की नजर है। प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस सहित अकाली दल और आम आदमी पार्टी लगातार किसानों की मांगों को जायज ठहराते हुए उनके आंदोलन में साथ दे रही हैं। लेकिन, इसका प्रभाव अन्य मुद्दों पर पड़ रहा है और पराली को आग लगा देने की घटनाएं बड़ी समस्या बन गई हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो पंजाब में पराली जलने का मुद्दा किसान वोट बैंक पर कब्जे की सियासत में उलझ गया है।

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किसानों ने कहा-  निस्तारण के लिए धान पर प्रति क्विंटल 100 रुपये बोनस न दिया तो जलाएंगे पराली

पंजाब में धान की कटाई के साथ ही पराली को आग लगाने के मामले सामने आने लगे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार पराली निस्तारण के लिए धान पर 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दे। क्योंकि पराली की संभाल पर प्रति एकड़ 2000 से 2500 रुपये खर्च आता है।

किसानों को अपने पक्ष में करने लगे मुख्यमंत्री कैप्टन की परेशानी बढ़ी, कैसे करें किसानों के खिलाफ कार्रवाई

नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करने वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के समक्ष यह चुनौती है कि वह पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई कैसे करें। एक तरफ कोरोना के बावजूद किसान प्रदर्शनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है तो दूसरी तरफ कैप्टन और कांग्रेस का ध्यान इस तरफ भी है कि कहीं किसानों का जो भी समर्थन उन्हें मिल रहा है वह पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करके कहीं उनके हाथ से फिसल न जाए।

पिछले दिनों किसान संगठनों के साथ हुई बैठक में कैप्टन ने कहा कि कोरोना के कारण पहले ही बहुत नुकसान हो रहा है। अगर पराली जलाई गई तो यह नुकसान और बढ़ जाएगा, लेकिन किसान नहीं माने। इसी बैठक में भारतीय किसान यूनियन के प्रधान बूटा सिंह बुर्जगिल ने यह तक कह दिया कि किसानों को सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान पर बोनस दिया जाए या सरकार खुद वैकल्पिक प्रबंध करे अन्यथा किसान पराली को आग लगाएंगे।

पिछले दो वर्षो में पराली जलने के मामलों में सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार से लेकर पंजाब व हरियाणा की सरकारों की खिंचाई की जा चुकी है। केंद्र सरकार ने दो वर्षो से 600 - 600 करोड़ रुपए की सहायता भी राज्य सरकार को दी जिससे किसान सब्सिडी पर पराली निस्तारण के लिए मशीनरी खरीद सकें। राज्य सरकार ने पराली जलाने वालों के खिलाफ न केवल केस दर्ज किए बल्कि किसानों की जमीनों पर रेड एंट्री तक दर्ज की गई। परंतु पराली जलने के मामले नहीं रुक रहे।

ऐसे समझें रेड एंट्री का मतलब

किसान की जमीन पर रेड एंट्री दर्ज हो जाए तो इसे क्लियर करवाए बगैर न तो किसान अपनी जमीन बेच सकते हैं और न ही इस जमीन पर कर्ज लिया जा सकता है। परंतु, किसान इसके बावजूद पराली को आग लगाने से पीछे नहीं हट रहे। इस साल अब तक सरकार की ओर से बड़े स्तर पर ऐसी कोई सख्ती नहीं की जा रही। पंजाब में अब तक 12 सौ से ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसके बाद अमृतसर में कुछ जगहों पर किसानों की जमीन पर रेड एंट्री दर्ज की जा रही है।

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