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वाइल्ड एनिमल को रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग की टीम को मिलेगी स्पेशल ट्रेनिंग

आए दिन वाइल्ड एनिमल्स के साथ टकराव बढऩे पर अब फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट अपनी रेस्क्यू टीम को ट्रैंकुलाइज करने की ट्रेनिंग दिलवाएगा।

By Sat PaulEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 11:10 AM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 11:10 AM (IST)
वाइल्ड एनिमल को रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग की टीम को मिलेगी स्पेशल ट्रेनिंग
वाइल्ड एनिमल को रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग की टीम को मिलेगी स्पेशल ट्रेनिंग

जेएनएन, चंडीगढ़। आए दिन वाइल्ड एनिमल्स के साथ टकराव बढऩे पर अब फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट अपनी रेस्क्यू टीम को ट्रैंकुलाइज करने की ट्रेनिंग दिलवाएगा। इसके लिए डिपार्टमेंट देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को लिख चुका है। अब इंस्टीट्यूट की टीम आकर रेस्क्यू टीम को स्पेशल ट्रेनिंग देगी। जिससे वाइल्ड एनिमल्स को सिटी एरिया से सुरक्षित रेस्क्यू किया जा सके। बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट के पास ट्रैंकुलाइज गन तो है, लेकिन इसे चलाने के लिए कोई एक्सपर्ट है ही नहीं।

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पहले जो यह गन चलाते थे वह अब रिटायर हो चुके हैं। अब इसके लिए दोबारा से एक्सपर्ट की टीम तैयार की जाएगी। साल भर से चंडीगढ़ में वाइल्ड लाइफ एनिमल के शहर में दाखिल होने के मामले काफी बढ़े हैं। बहुत से मामलों में एनिमल से टकराने के कारण लोगों या एनिमल की मौत भी हो चुकी है। ताजा मामला पांच दिन पहले का है जब एक सांभर जंगल से भटक कर सेक्टर-22 की मार्केट में पहुंच गया था। इस दौरान वह कई घंटो तक मार्केट में दौड़ता रहा। दौड़ते हुए वह वाहनों से टकरा कर बुरी तरह से घायल हो चुका था। रेस्क्यू टीम कई घंटो की मशक्कत के बाद उसे पकड़ पाई। लेकिन ज्यादा खून बहने से उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम में बॉडी पर गहरे जख्म मिले थे। इसी तरह से कई अन्य मामले नील गाय के भी आते रहते हैं। ट्रैकुलाइज गन से एनिमल को बेहोश किया जाता है। इसके बाद उसे पिंजरे में बंद किया जाता है। बाघ इत्यादि को रेस्क्यू करने में इसका इस्तेमाल होता है।

वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट को लिखा है पत्र

चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट देबेंद्र दलाई का कहना है कि  ट्रैकुलाइज के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट को लिखा गया है। डिपार्टमेंट के पास ट्रैकुलाइज गन है, लेकिन इसे ऑपरेट करने वाला ट्रेंड स्टाफ रिटायर हो चुका है। उसी के लिए अब स्टाफ को ट्रेनिंग दिलवाई जाएगी। हालांकि ट्रैकुलाइज का इस्तेमाल बहुत दुर्लभ केस में ही किया जाता है। सिटी में वाइल्ड एनिमल आने पर लोगों को उसे अकेला छोड़ देना चाहिए जिससे उसे आसानी से रेस्क्यू किया जा सके। अकसर लोग जानवर के पीछे लग जाते हैं शोर मचाते हैं जिससे वह डर जाता है और रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आती है।

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