आरोपित को कोर्ट में पेश नहीं करने पर तिहाड़ जेल सुपरिंटेंडेंट को भेजा नोटिस, मांगा जवाब
अदालत ने तिहाड़ जेल सुपरिंटेंडेंट को नोटिस जारी कर आरोपित को पेश नहीं करने पर जवाब मांगा है। 24 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई पर आरोपित को पेश करने को कहा है।
चंडीगढ़, जेएनएन। सारंगपुर में 73.65 एकड़ जमीन पर बनने वाले एम्यूजमेंट/थीम पार्क से जुड़े घोटाला मामले में सोमवार को सीबीआइ की स्पेशल अदालत में सुनवाई शुरू होनी थी। मगर अदालत में मामले के आरोपित यूनिटेक लिमिटेड के डायरेक्टर अजय चंद्रा को तिहाड़ जेल प्रशासन ने जिला अदालत चंडीगढ़ में पेश नहीं किया। इस पर अदालत ने तिहाड़ जेल सुपरिंटेंडेंट को नोटिस जारी कर आरोपित को अदालत में पेश नहीं करने पर जवाब मांगा है।
साथ ही मामले में 24 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई पर आरोपित को पेश करने के लिए कहा है। आरोपित के अलावा चंडीगढ़ के तत्कालीन एडवाइजर ललित कुमार, गृह सचिव कृष्ण मोहन शर्मा, यूटी टूरिज्म डायरेक्टर विवेक अत्रे भी आरोपित हैं। इसी साल छह जनवरी को अदालत ने आरोपितों के खिलाफ चल रहे इस केस में दायर क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। इसके बाद केस का ट्रायल शुरू हुआ।
13 फरवरी को हुई पिछली सुनवाई पर अदालत में अजय चंद्रा को छोड़ बाकी सभी आरोपित पेश हुए थे। उस समय भी मामले की सुनवाई शुरू नहीं हो पाई थी। इसके बाद अदालत ने अजय के खिलाफ दोबारा प्रोडक्शन वारंट जारी कर दिए थे।
केंद्रीय सतर्कता आयोग की प्रारंभिक जांच के आधार पर गृह मंत्रलय ने वर्ष 2006 में तत्कालीन प्रशासक और पंजाब के राज्यपाल एसएफ रोडिग्स को मामले की सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। यूटी प्रशासक के आदेश पर एम्यूजमेंट थीम पार्क घोटाले की सीबीआइ जांच के आदेश हुए थे। मामले में सीबीआइ ने चार अक्टूबर 2010 को मामले में उक्त सभी के खिलाफ धोखाधड़ी और करप्शन एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की थी।
मार्च 2006 में तत्कालीन यूटी टूरिज्म के डायरेक्टर विवेक अत्रे ने चंडीगढ़ के सारंगपुर में मल्टी मीडिया कम फिल्म सिटी और थीम पार्क (एम्यूजमेंट पार्क) के लिए साइट्स का प्रपोजल जारी किया था।
थीम पार्क में फिल्मों के निर्माण के लिए डिजिटल स्टूडियो, कई तरह की शूटिंग साइट्स के अलावा कई तरह की सुविधाएं शामिल थीं। यह थीम पार्क लॉस एंजिल्स के यूनिवर्सल स्टूडियो, सिंगापुर के सेंटोसा आइसलैंड और मलेशिया के थीम पार्क की तर्ज पर बनाया जाना था। नियमों के अनुसार जिस भी कंपनी को इसका टेंडर दिया जाता उसे इसे बनाकर चंडीगढ़ प्रशासन 33 साल के लिए लीज पर देती। कंपनी को लीज के तौर पर प्रशासन को सालाना 5.50 करोड़ रुपये देने थे। 13 कंपनियों ने आवेदन किया था। लेकिन बाद में तीन कंपनियों पैंटालून लिमिटेड, यूनिटेक लिमिटेड और डीएलएफ का चयन हुआ था।
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