शिकवे दूर होने के बाद सोनी ने संभाली जिम्मेदारी, नवजोत सिद्धू को लेकर अभी सस्पेंस बरकरार
कैबिनेट मंत्री ओपी सोनी के गिले-शिकवे दूर हो गए हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले को सुलझा लिया है। वहीं सिद्धू को लेकर अभी सस्पेंस बरकरार है।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। कैबिनेट मंत्री ओपी सोनी के गिले-शिकवे दूर हो गए हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले को सुलझा लिया है। सोनी ने आज मेडिकल एजुकेशन, फूड प्रोसेसिंग और स्वतंत्रता सेनानी विभाग की जिम्मेदारी संभाल ली है, जबकि नवजोत सिंह सिद्धू की स्थिति यथावत बनी हुई है। सिद्धू नया विभाग संभालेंगे भी या नहीं, इसे लेकर तस्वीर अभी स्पष्ट नहीं हुई है।
लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के कुछ दिन बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 13 मंत्रियों के विभागों में बदलाव किया था। इससे सबसे अधिक नाराज तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिद्धू और शिक्षा मंत्री ओपी सोनी हुए थे। बाकी मंत्रियों ने अपने-अपने नए विभाग की जिम्मेदारी संभाल ली थी, लेकिन 18 दिन बाद भी न तो सिद्धू ने और न ही सोनी ने अपने नए विभाग की जिम्मेदारी संभाली थी, लेकिन सोनी ने आज कामकाज संभाल लिया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार कैप्टन संदीप संधू भी उपस्थित थे।
सिद्धू की नाराजगी सीधे मुख्यमंत्री से है, जबकि सोनी की मुख्यमंत्री के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार को लेकर थी। सोनी खुलकर सुरेश कुमार के खिलाफ उतर आए थे। शिक्षा मंत्री रहते हुए सोनी की अपने ही विभाग के सचिव कृष्ण कुमार के साथ संबंध अच्छे नहीं थे। कृष्ण कुमार धुन के पक्के आइएएस अधिकारी माने जाते हैं। वह मुख्यमंत्री से लेकर सुरेश कुमार के भी गुड बुक में हैं।
बढ़ते विवाद के बाद सोनी के विभाग में बदलाव होने के कारण राजनीतिक हलके में चर्चा आम हो गई कि सेक्रेटरी ने मंत्री का विभाग बदलवाया। सोनी इस बात से खासे खफा थे। यही कारण है कि उन्होंने 18 दिन तक अपने विभाग की जिम्मेदारी नहीं संभाली। विभाग के उच्चाधिकारियों ने भी पेंडिंग फाइलों के बढ़ते बोझ को देखते हुए सोनी से संपर्क किया था।
सिद्धू कैंप में अब भी सन्नाटा
सोनी ने भले ही आज नए विभाग की जिम्मेदारी संभाल ली, लेकिन नवजोत सिद्धू कैंप में सन्नाटा है। सिद्धू ने खुद को सरकार व मीडिया से दूर कर रखा है। उनको आस राहुल गांधी से है। विभाग बदलने के चार दिन बाद ही उन्होंने राहुल गांधी से मुलाकात की थी। राहुल ने मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल को सौंपी थी, लेकिन 14 दिन बाद भी कुछ नहीं हो सका है। इस वजह से सिद्धू का मामला पंजाब सरकार के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
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