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दर्द में डूबी जिंदगी में खुशियों के कुछ पल, ...आैर खिल उठे थके चेहरे

इन बुजुर्गों को अपनों ने गहरा दर्द दिया है। जिनको नाजों से पाला,अपना सबकुछ समझा उम्र बढ़ी तो आेल्‍डएज होम पहुंचा दिया। ऐसे में खुशी के कुछ पल मिले तोे पीड़ा से थके चहरे खिल उठे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 16 Jun 2018 08:03 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 08:54 PM (IST)
दर्द में डूबी जिंदगी में खुशियों के कुछ पल, ...आैर खिल उठे थके चेहरे
दर्द में डूबी जिंदगी में खुशियों के कुछ पल, ...आैर खिल उठे थके चेहरे

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। इन थके चेहरों पर खुशी और अानंद की ताजगी थी। थोड़ी देर के लिए ही सही, दर्द पर  खुशी भारी पड़ रही थी। 90 साल की जीत रानी आैर 73 साल की ऊषा अपनों द्वारा दिए दर्द को भूलकर बच्‍चों की तरह झूम रही थीं, गा रही थीं। कभी जिनको जिगर का टुकड़ा समझकर अपनी खुशियां कुर्बान कर दी थीं, उन्‍होंने जिंदगी में दुख और दर्द भर दिया। लेकिन, उनका कहना है जब बच्‍चे अपनी दुनिया मेें खुश हैं तो हम क्‍यों दुखी रहें।

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माैका था चंडीगढ़ के सेक्टर-43 स्थित सीनियर सिटीजन होम में वर्ल्‍ड एल्डर अवेयरनेस डे के मौके पर कार्यक्रम का। कार्यक्रम को स्टेट लीगल सर्विस आथॉरिटी (सालसा) की तरफ से आयोजित किया गया। इसमें सेक्टर-43 के अलावा सेक्टर-15 के सीनियर सिटीजन होम के बजुर्गो ने भी भाग लिया और जमकर मस्ती की। इस मौके पर सालसा में इंटर्न करने वाले लॉ के स्टूडेंट्स ने शानदार नाटक का मंचन किया और समाज में बुजुर्गों की उपेक्षा की ओर ध्‍यान खींचा। उन्‍होंने नाटक के जरिए बजुर्गों के अधिकारों के प्रति भी अवगत कराया।

कार्यक्रम के दौरान युवाओं के साथ नाचते-गाते बुजुर्ग।

कार्यक्रम सालसा के सदस्‍य सचिव महाबीर सिंह और नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के कन्‍वीनर बीके कपूर भी मौजूद रहे। काफी संख्‍या में समाजसेवियों ने भी कार्यक्रम में हिस्‍सा लिया और बुजुर्गों की खुशियों में शामिल हुए। कार्यक्रम के बुजुर्गों का मस्‍ती देखने लायक थी, हालांकि जश्‍न के बीच उनका दर्द भी छलक पड़ता था।

इन बुजुर्गों का कहना है, ' हमउम्र लोगों के साथ रहते हैं और खुशी-खुशी जीवन जी रहे हैं। लेकिन, दर्द उस समय होता है जब याद आता है कि बच्चों ने खुद के आराम और खुशी के लिए हमें छोड़ दिया।'

कार्यक्रम के दौरान 90 साल की अम्‍मा जीतरानी के साथ सेल्‍फी लेते युवा।

'बाबे भंगड़े पौदें ने' पर बुजुर्गो ने किया जमकर लगाए ठुमके

कार्यक्रम में भांगड़े का भी आयोजन किया गया। इसमें बजुर्गो ने गुरदास मान के गीत 'बाबे भांगड़ा पौदें ने' पर जमकर डांस किया। 90 साल की जीत रानी गुप्‍ता तो डांस में मगन हो गईं और उनके साथ नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के कन्‍वीनर बीके कपूर भी शामिल हो गए। इस दौरान उन्‍होंने बीेके कपूर के हाथों को चूम लिया। उनकी खुशी देख वहां मौजूद लोगों की आखें भर आईं।

कार्यक्रम के दौरान कुछ बजुर्गों ने शेरो-शायरी के माध्‍यम से भी अपने दर्द बयां किए। मशहूर शायरी राहत इंदौरी की शायरी को विलसन मासिव ने इस प्रकार पेश किया-

' पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है,

आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है,

अपने घर की कलह से फुर्सत मिले तो सुनें

आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है।'

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90 साल की अम्‍मा बोलीं- डांस करना है बेहद पसंद, मौका मिला तो बहुत खुशी हुई

नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के कन्‍वीनर बीके कपूर के साथ जीतरानी गुप्ता ठुमके लगाती हुईं।

सेक्टर-15 सीनियर सिटीजन हाऊस में रहने वाली 90 वर्षीया जीतरानी गुप्ता ने बताया कि पति पंजाब यूनिवर्सिटी में कार्यरत थे। उनके साथ चंडीगढ़ आई थी। दो बेटे और एक बेटी हैं और उन पर खूब नाज था। लगा जीवन में और कुछ नहीं चाहिए, यही जीवन की खुशी हैं। बेटे गवर्नमेंट नौकरी कर रहे हैं। एक बहू चंडीगढ़ पुलिस में है और दूसरी बहू दिल्ली में ही रहती है और पेशे से इंजीनियर है। बेटी सेक्टर-38 में रहती है। लेकिन, बुढापा आया और उनके सहारे की जरूरत पड़ी तो सभी ने मुंह मोड़ लिया। पिछले 26 सालों से ओल्ड एज होम में रह रही हूं। डांस बेहद पसंद है आैर यहां मौका मिला तो डांस करके बहुत मजा आया। भांगड़े के साथ दिल खुश हो गया।

कार्यक्रम के दौरान 90 साल की जीतरानी ने बीेके कपूर को ऐसा कुछ कहा कि सभी की आखें छलक आईं।

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मैं नहीं रो रही तो तू क्‍योें रो रहा है बेटा

कार्यक्रम के दौरान बुजर्ग अम्‍मा जीतरानी को खुशी से नाचते-गाते देख वहां मौजूद एक युवा की आंखें भर अाईं तो वह अपने आंसू पोंछने लगा। यह देखकर अम्‍मा ने उसे गले लगा लिया अौर बोलीं जब मैं नहीं रो रही तो तू क्‍यों रो रहा है। इास पर वहां मौजूद अन्‍य लाेगों की आंखें भी छलक गईं।

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पति थे बैंक मैनेजर, चार बेटे हैं लेकिन सबने मुंह मोड़ लिया

73 वर्षीय ऊषा रानी सेक्टर-43 के सीनियर सिटीजन होम में रहती हैं। यहां पर पिछले आठ महीनों से रह रही हैं। उनका कहना है, जब तक पति थे घर में आराम से रह रही थी लेकिन उनके देहांत के बाद अकेली पड़ गई। चार बेटे है जो कि अपने-अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। बेटों से कहा, अकेले नहीं रह सकती हूं तो सीनियर सिटीजन होम में छोड़ गए। यहां पर सब कुछ ठीक है लेकिन मन में दर्द जरूर होता है।


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