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... तो इसलिए पेट्रोल व डीजल की दरें घटाने से कतरा रही है पंजाब सरकार

केंद्र के बाद हरियाणा और चंडीगढ़ यूटी प्रशासन द्वारा भी पेट्रोल व डीजल की कीमतों में कमी करने से पंजाब सरकार पर दबाव बढ़ गया है। लेकिन,कई कारणां से कैप्‍टन सरकार इससे हिचक रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 04:49 PM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 06:21 PM (IST)
... तो इसलिए पेट्रोल व डीजल की दरें घटाने से कतरा रही है पंजाब सरकार
... तो इसलिए पेट्रोल व डीजल की दरें घटाने से कतरा रही है पंजाब सरकार

जेएनएन, चंडीगढ़। केंद्र सरकार के बाद पेट्रोल व डीजल की दराें में कमी करने के बाद हरियाणा सहित कई राज्‍यों ने अपनी आेर से इनकी कीमतों में कटौती की। यहां तक की चंडीगढ़ प्रशासन ने भी इसमें अपनी ओर से कमी कर दी। ऐसे में पंजाब सरकार से भी राज्‍य में पेट्राेल और डीजल की कीमतों में कमी किए जाने की उम्‍मीद की जा रही है। लेकिन, कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार इसको लेकर ऊहापोह की हालत में है। एेसे कुछ कारण है कि पंजाब सरकार यह कदम उठाने से हिचक रही है। खस्‍ता आर्थिक हालत से परेशान राज्‍य सरकार को केंद्र सरकार द्वारा पेट्रो कीमतों में 2.50 प्रति लीटर की कमी करने से करीब 2750 करोड़ रुपये सालाना का नुकसान होगा। ऐसे में दर में और कमी करने का फैसला लेना उसके लिए बेहद कठिन है।  इसके साथ ही राज्य सरकार का आरोप है कि केंद्र ने बेहद चालाकी से राज्यों पर बोझ डाल दिया है।

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 हरियाणा सरकार के बाद चंडीगढ़ प्रशासन के भी पेट्रो कीमत में कमी करने से कैप्‍टन सरकार पर दबाव बढ़ा

केंद्र अौर हरियाण्‍ाा सरकार द्वारा पेट्राेल व डीजल की दरें घटाने के बाद पंजाब में भी उपभोक्ताओं को कीमतें घटाए जाने की उम्‍मीद थी। पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने इस संबंध में शुक्रवार को राज्‍य के वित्‍तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल व वित्त और टैक्सेशन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक भी की, लेकिन पेट्रोल व डीजल पर वैट कम करने के बारे में कोई फैसला नहीं हो सका। दरअसल राज्य की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए सरकार फैसला नहीं कर पा रही है। पेट्रोलियम के दाम प्रति लीटर एक रुपये कम करने पर राज्य सरकार को साल भर में 1100 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।

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मुक्खमंत्री ने अधिकारियों को वैट कम करने से राज्य के खजाने पर पडऩे वाले असर और दूसरे राज्यों के टैक्स का तुलनात्मक अध्ययन करके रिपोर्ट देने को कहा है। अब सोमवार को नई दिल्ली में मुख्यमंत्री ने वित्त और टैक्सेशन विभाग के मंत्रियों व अधिकारियों की बैठक बुलाई है जिसमें उपभोक्ताओं को राहत देने का फैसला लिया जा सकता है। वित्तमंत्री मनप्रीत बादल के मुताबिक आशा है कि लोगों को कुछ राहत जरूर मिलेगी।

वित्त और टैक्सेशन विभाग के अधिकारियों की मीटिंग में तर्क दिया गया है कि केंद्र सरकार ने बेहद चालाकी से पेट्रोल में राहत का ज्यादातर बोझ राज्यों पर डाल दिया है। केंद्र ने पेट्रोलियम पदार्थों पर लगी स्पेशल एक्साइज ड्यूटी कम करने की बजाए 1.50 रुपये तक की एक्साइज ड्यूटी कम की है और एक रुपया पेट्रोल के बेस प्राइस में कम करने को पेट्रोलियम कंपनियों से कहा है।

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एक्साइज ड्यूटी में जो कमी की गई है उसमें से 42 फीसद हिस्सा राज्यों का भी कम होगा। केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी में एकत्रित टैक्सों में 42 फीसद राज्यों को मिलता है। यानी 1.50 रुपये में से 63 पैसे राज्यों के खाते से जाएंगे। इसी तरह एक रुपये का बोझ पेट्रोलियम कंपनियों पर भी डाल दिया गया है।

इसमें भी तीस पैसे राज्यों के खाते से जाएंगे क्योंकि बेस प्राइस पर 30 फीसद से ज्यादा वैट लगा हुआ है। मीटिंग में वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल, सीएम के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार, चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एमपी सिंह शामिल थे।

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पड़ोसी राज्यों का बढ़ेगा राजस्‍व

पंजाब में रोजाना डीजल की 400 करोड़ लीटर और पेट्रोल की 200 करोड़ लीटर बिक्री होती है। हरियाणा व चंडीगढ़ में कीमतें कम न होतीं तो पंजाब में पेट्रोल की बिक्री 20 फीसद और बढ़ जाती। चंडीगढ़ व हरियाणा में पंजाब के मुकाबले पेट्रोल सात से नौ रुपये तक सस्ता है। मुख्यमंत्री ऑफिस यह मानता है कि टैक्स में कमी के कारण पड़ोसी राज्यों को रेवेन्यू ट्रांसफर होता है, लेकिन पंजाब में प्रति लीटर एक रुपये की कमी करने पर राज्य सरकार को साल भर में 1100 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। पंजाब की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार इस नुकसान को झेलने की स्थिति में नहीं है।

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