टेंडर के खेल में उलझा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, शर्तों के बड़ी-बड़ी कंपनियों ने टेके घुटने Chandigarh News
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कुल 6100 करोड़ रुपये खर्च होना है। लेकिन तीन साल से भी अधिक समय बीतने के बाद भी लगभग 100 करोड़ रुपये ही खर्च हो सके हैं।
चंडीगढ़ [बलवान करिवाल]। स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल हुए चंडीगढ़ को तीन साल बीत चुके हैं। लेकिन अभी तक शहर सही मायनों में स्मार्ट नहीं बन पाया है। स्मार्ट सिटी के नाम पर तीन साल से सिर्फ टेंडरबाजी का खेल ही चल रहा है। एक-एक प्रोजेक्ट के तीन से चार बार टेंडर हो चुके हैं लेकिन सिरे कोई प्रोजेक्ट नहीं चढ़ पाया है। करोड़ों के टेंडर जारी कर वाहवाही बटोरने की कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जाती। लेकिन कुछ दिनों बाद ही इसकी हवा तब निकल जाती है जब कंपनी फाइनल नहीं होने से टेंडर अलॉट ही नहीं हो पाता। शर्तो पर खरी नहीं उतरने से कंपनी बाहर हो जाती है। एक बार नहीं बल्कि कई बार ऐसा हो चुका है।
बजट 6100 करोड़, खर्च 100 करोड़
26 मई 2016 को चंडीगढ़ का नाम स्मार्ट सिटी की सूची में आया था। उसके बाद से ही हर साल स्मार्ट प्रोजेक्ट के लिए बजट मिल रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत कुल 6100 करोड़ रुपये खर्च होना है। पांच साल में यह खर्च और इन्वेस्टमेंट होनी है। प्रशासन को अपने स्तर, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप और निजी कंपनी को प्रोजेक्ट अलॉट कर यह इन्वेस्टमेंट करवानी थी। लेकिन तीन साल से भी अधिक समय बीतने के बाद भी लगभग 100 करोड़ रुपये ही खर्च हो सके हैं। अभी तक निजी तौर पर कोई इन्वेस्टमेंट नहीं हो सकी है। पीपीपी मोड पर भी प्रोजेक्ट अधर में ही लटके हैं। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट अधर में पुराने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को अपडेट करने के साथ ही एक नया प्लांट किशनगढ़ में बनाया जाना है। तीन बार से अधिक इस प्रोजेक्ट का टेंडर आवंटित किया गया। लेकिन टेंडर की शर्तों के आगे बड़ी-बड़ी कंपनी घुटने टेक गई। कोई कंपनी टेक्नीकल बिड में सफल नहीं हुई। जिससे टेंडर अलॉट ही नहीं हो सका। यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के अहम प्रोजेक्ट में से एक है। इस ट्रीटमेंट प्लांट से पानी का बीओडी और सीओडी लेवल कम कर सुखना लेक में डालने का प्रावधान है। जिससे सुखना का जलस्तर न गिरे।
पब्लिक बाइक शेयरिंग में पिछड़े
पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट के तहत शहर में पांच हजार साइकिल आनी हैं। इनके लिए शहर में जगह-जगह 617 डॉकिंग स्टेशन बनेंगे। यह प्रोजेक्ट 20 करोड़ की लागत का है। यह प्रोजेक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर होगा। लोगों को वाजिब रेंट पर साइकिल उपलब्ध करानी हैं। हर स्टेशन पर करीब दस साइकिल होंगी। लेकिन कई बार टेंडर जारी के बाद भी यह प्रोजेक्ट किसी कंपनी को अलॉट नहीं हो सका है। जबकि पंचकूला में यह प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। टेंडर उसी कंपनी को दिया जाना है जिसको साइकिल शेयरिंग का अनुभव हो और टर्नओवर 20 करोड़ से अधिक हो। किसी कंपनी को फाइनल नहीं किया जा सका है।
पांच बार टेंडर के बाद भी नहीं हुई अंडरग्राउंड केबलिंग
शहर में सभी बिजली के तार अंडरग्राउंड होने हैं। कमाल की बात तो यह है कि इस प्रोजेक्ट का टेंडर भी पिछले दो साल से अलॉट किया जा रहा है। लेकिन बार-बार टेंडर और शर्तो में ढील के बाद भी टेंडर अलॉट नहीं हो सका। पायलट प्रोजेक्ट के तहत अंडरग्राउंड केबलिंग की शुरुआत सेक्टर-8 से होनी है। उसके बाद अन्य सेक्टर कवर होंगे। लेकिन शुरुआत ही अटकी है।
स्मार्ट सिटी के तहत होने हैं यह काम
-साढ़े 11 करोड़ से ई-गवर्नेस का प्रोजेक्ट होगा। इसमें घर बैठे ही काम हो सकेंगे।
-गवर्नमेंट स्कूलों के 90 क्लास रूम छह माह में स्मार्ट होंगे।
-24 घंटे पानी की सप्लाई।
-स्मार्ट मीटर होंगे जो स्काडा सेंटर से जुडेंगे।
-इंटेग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बनेगा। जिसमें 943 सीसीटीवी लगेंगे।
-सेक्टर-17, 22, 35, 43 में 6 करोड़ की लागत से पब्लिक टॉयलेट की रेनोवेशन होगी।