स्मार्ट सिटी के 550 करोड़ रुपये के टेंडर के मामले में 'स्मार्ट गेम' से बाहर हुईं कई कंपनियां
दूसरी शर्त ने इन सभी कंपनियों को बाहर कर दिया। यह शर्त थी कि कंपनी ने 109 एम एलडी या उससे बड़ा प्लांट 440 करोड़ रुपये में बनाया हो जोकि कुल प्रोजेक्ट लागत का 80 प्रतिशत है।
जासं, चंडीगढ़। स्मार्ट सिटी के 550 करोड़ रुपये के एसटीपी टेंडर के मामले में स्मार्ट गेम से कंपनियों को बाहर किया गया। जिस प्रकार की शर्तें चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी के लिए तय की गई, वैसी शर्तें देश के किसी भी स्मार्ट सिटी के लिए नहीं थीं। शर्तों के निर्धारण के मामले में हुए खेल ने ही देश की टॉप कंपनियों को एसटीपी प्रोजेक्ट के टेंडर की दौड़ से बाहर कर दिया। चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी में 6 टेक्निकल एक्सपर्ट्स की कमेटी ने टेंडर की शर्तें तैयार की थीं। एसटीपी प्रोजेक्ट के लिए तीन बार टेंडर आमंत्रित किए गए, लेकिन शर्तों में कोई बदलाव नहीं किया गया।
दूसरी ओर तीसरी बार सिर्फ एलएंडटी और वाटेक ने ही टेंडर भरा। ऐसे हुआ खेल एसटीपी प्रोजेक्ट के टेंडर में चंडीगढ़ में सबसे बड़ा प्लांट 135 एमएलडी का बनाया जाना है। टेंडर में शर्त रखी गई कि वह कंपनी इस टेंडर में बिड कर सकती है, जिसने 109 एमएलडी का प्लांट बनाया हो। इस शर्त को देश की एक दर्जन से अधिक कंपनिया पूरी कर रही थीं, लेकिन एक दूसरी शर्त ने इन सभी कंपनियों को बाहर कर दिया। यह शर्त थी कि कंपनी ने 109 एम एलडी या उससे बड़ा प्लांट 440 करोड़ रुपये में बनाया हो जोकि कुल प्रोजेक्ट लागत का 80 प्रतिशत है।
यहा हुई गड़बड़
स्मार्ट सिटी की टेक्निकल कमेटी ने टेंडर में वर्क एक्सपीरियंस के लिए सबसे बड़े प्लांट जोकि 135 एमएलडी का है, उसका 80 फीसद 109 एमएलडी लिया। मगर फाइनेंशियल एक्सपीरियंस में पाचों प्लांट्स और उनकी 15 साल का आपरेशन मेंटेनेंस की टोटल कीमत 550 करोड़ रुपये का 80 फीसद 440 करोड़ रुपये का एक्सपीरियंस माना गया।
होना यह चाहिए था
स्मार्ट सिटी के एसटीपी टेंडर में 135 एमएलडी के 80 फीसद का एक्सपीरियंस मागा गया था। ऐसे में 135 एम एलडी की कैपिटल कास्ट 192 करोड़ का 80 फीसद 152 करोड़ रुपये का फाइनेंशियल एक्सपीरियंस होना चाहिए था। यदि यह शर्तें होतीं तो देश की कई अन्य नामी कंपनिया बिड करती। कंपनियों ने स्मार्ट सिटी के अफसरों और टेक्निकल कमेटी के सामने प्री बिड मीटिंग के दौरान टेंडर की शर्तों में बदलाव के लिए अपनी रिप्रजेंटेशन दी थी। देश की नामी कंपनी खिलारी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और शापूरजी पालोनजी के प्रतिनिधियों ने टेंडर की शर्तों पर सवाल उठाए थे। कंपनियों ने स्पष्ट कहा था कि इन शर्तों का फायदा सिर्फ दो या तीन कंपनियों को होगा। इसके बावजूद शर्तों में बदलाव नहीं किया गया।