Move to Jagran APP

सरकारी स्कूलों की 9वीं और 10वीं कक्षा की छह माह की फीस माफ

दसवीं क्लास के स्टूडेंट्स की छह महीने की फीस माफ करने का फैसला लिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 07:50 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 07:50 PM (IST)
सरकारी स्कूलों की 9वीं और 10वीं कक्षा की छह माह की फीस माफ
सरकारी स्कूलों की 9वीं और 10वीं कक्षा की छह माह की फीस माफ

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : चंडीगढ़ प्रशासन ने शहर के सरकारी स्कूलों में नौवीं और दसवीं क्लास के स्टूडेंट्स की छह महीने की फीस माफ करने का फैसला लिया है। जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग के प्रपोजल पर प्रशासक वीपी सिंह बदनौर द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद शुक्रवार को निर्देश जारी कर दिए गए। गौरतलब है कि दैनिक जागरण ने सबसे पहले 30 जून के अंक में सरकारी स्कूलों में 25 हजार स्टूडेंट्स की फीस माफ करने की तैयारी..शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। प्रशासन के इस फैसले से हजारों परिवारों को राहत मिली है। सरकारी स्कूलों में इन दोनों कक्षाओं में करीब 25 हजार स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। प्रशासन के इस फैसले से प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे स्टूडेंट्स के अभिभावक भी फीस माफी की आस लगाए हुए हैं। अगर सरकारी स्कूलों की फीस माफ हो सकती है, तो फिर प्राइवेट स्कूलों की क्यों नहीं। प्रशासन ने अप्रैल से सितंबर माह तक की फीस माफ करने का फैसला लिया है। सरकारी स्कूलों के स्टूडेंट्स की फीस माफी से प्रशासन को एक करोड़ 70 लाख रुपये का वित्तीय नुकसान होगा। प्राइवेट स्कूलों में मोटी ट्यूशन फीस

loksabha election banner

प्राइवेट स्कूलों में जहां एक ओर ट्यूशन फीस के नाम पर अभिभावकों से मोटी रकम वसूली जा रही है, वहीं, सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए कोई ट्यूशन फीस नहीं हैं। लेकिन लड़कों के लिए ट्यूशन फीस और फंड दोनों देने का प्रावधान है। प्रशासन के फैसले के बाद यह फंड भी स्टूडेंट्स से नहीं लिया जाएगा। सरकारी स्कूलों में 55 फीसद से ज्यादा निम्न तबके से आते हैं स्टूडेंट्स

सरकारी स्कूलों में ज्यादातर निम्न तबके के बच्चे पढ़ने आते हैं। हालांकि सरकारी स्कूलों में फीस ज्यादा नहीं है, लेकिन फिर भी इन परिवारों के लिए इस हालात में यह भी बहुत बड़ी रकम है। अगर बात आंकड़ों की हो तो शहर के सरकारी स्कूलों में 55 फीसद निम्न तबके के बच्चे पढ़ने आ रहे हैं। उसके अलावा 35 फीसद मध्यवर्गीय परिवार और 10 फीसद उच्च तबके के बच्चे पढ़ने आते हैं। 10 फीसद बच्चे सेंटर के स्कूलों में पढ़ते हैं। प्राइवेट स्कूलों के लिए सबक

सरकारी स्कूलों की फीस माफ करने से प्राइवेट स्कूलों के लिए यह एक सबक है। प्राइवेट स्कूलों ने फीस माफ करना तो दूर की बात, बल्कि स्कूल की अन्य फीस को भी ट्यूशन फीस में जोड़ दिया है। इसके अलावा प्राइवेट स्कूलों ने अभिभावकों से फंड की भी मांग की है। प्रशासन ने इस वक्त फीस माफी का फैसला करके हजारों अभिभावकों को राहत दी है। प्रशासन को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी कोई राहत देनी चाहिए। मेरी अभिभावकों को सलाह है कि वह सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ने भेजें। यहां भी टॉप स्कूल हैं, जहां पर प्राइवेट स्कूलों से बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर है।

-स्वर्ण सिंह कंबोज, अध्यक्ष, यूटी कैडर एजुकेशनल इंप्लाई यूनियन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.