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सिगला बोला- मन्नू के माध्यम हुई एंट्री, महाजन की श्योरिटी पर करवाई जीपीए

ेक्टर-37ए स्थित विवादित कोठी प्रकरण में रिमांड के दौरान अरविद सिगला ने केस की अहम परतें खोलनी शुरू कर दी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 06:02 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 06:04 AM (IST)
सिगला बोला- मन्नू के माध्यम हुई एंट्री, महाजन की श्योरिटी पर करवाई जीपीए

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सेक्टर-37ए स्थित विवादित कोठी प्रकरण में रिमांड के दौरान अरविद सिगला ने केस की अहम परतें खोलनी शुरू कर दी हैं। एसआइटी की शुरुआती पूछताछ में सिंगला ने कबूला कि केस में आरोपित और प्रापर्टी डीलर अशोक अरोड़ा उर्फ मन्नू के माध्यम से उसकी एंट्री हुई थी। संजीव महाजन की श्योरिटी पर विवादित कोठी की जरनल पावर आफ अटॉर्नी (जीपीए) करवाई थी। मामले से जुड़े कई तथ्यों पर सिंगला ने हामी भरी तो कोठी मालिक राहुल मेहता से मारपीट, अपहरण और धोखाधड़ी की जानकारी होने से इन्कार किया है।

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सेक्टर-33 निवासी नॉर्थ इंडिया के बड़े शराब कारोबारियों में गिने जाने वाले अरविद सिगला ने बताया कि वह संजीव महाजन को 2016 से जानता है। अशोक अरोड़ा के माध्यम से मिलने के बाद संजीव महाजन ने जीपीए की जिम्मेदारी ली थी। सिगला ने आरोपित प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता से भी जान पहचान होने की बात कबूली है। चंडीगढ़, जीरकपुर, दिल्ली फिर द्वारका में छिपा सिंगला

सूत्रों के अनुसार सिंगला को देर शाम ही संजीव महाजन की गिरफ्तारी की जानकारी मिल गई थी। उस वक्त वह सेक्टर-33 स्थित कोठी में था, लेकिन केस दर्ज होने के बाद वह जीरकपुर के एक नामी होटल में जाकर ठहरा। रातभर होटल में रहने के बाद दिल्ली निकल गया। वहां द्वारका स्थित अपने एक फ्लैट में जाकर छिप गया। उस फ्लैट के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। सौ से ज्यादा ठेके चल रहे हैं सिगला के

चंडीगढ़ सेक्टर-33 निवासी अरविद सिगला शहर का नामी कारोबारी है। सिगला नॉर्थ इंडिया के बड़े शराब कारोबारियों में से एक है। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में सिगला के 100 से ज्यादा शराब के ठेके चल रहे हैं। केस दर्ज होने बाद लंबे समय तक सिंगला की गिरफ्तारी न होने से चंडीगढ़ पुलिस पर भी सवाल उठ रहे थे। रजिस्ट्री पर साइन करने के गुरप्रीत ने लिए थे सात लाख रुपये

वहीं वीरवार को कोर्ट में सरेंडर करने वाले नकली राहुल मेहता यानि गुरप्रीत सिंह ने रिमांड के दौरान बताया कि उसकी माली हालत काफी खराब चल रही थी। इससे परेशान होकर उसने बचपन के दोस्त प्रापर्टी डीलर सतपाल डागर से मदद मांगी थी। उसके ऑफर पर ही उसने कोठी का मालिक राहुल मेहता बनकर रेवेन्यू डिपार्टमेंट के सब रजिस्ट्रार आफिस में पेश होकर रजिस्ट्री पर साइन किए थे और फोटो करवाई थी। उसने इसकी एवज में सात लाख रुपये लिए थे। वहीं उसने 19 बार कोरे कागज पर साइन करने की प्रैक्टिस की थी।


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