सिद्धू और कैप्टन की बैठक के क्या हैं मायने, सरकार में तालमेल बिठाने की कोशिश या दबाव बनाने की रणनीति!
Punjab Politics सिद्धू ने पद संभालते ही यह एलान किया था कि वह हाईकमान की ओर से दिए गए 18 सूत्रीय एजेंडे पर काम करेंगे। एजेंडे में वही वादे हैं जो कांग्रेस ने पिछले चुनाव के वक्त किए थे।
चंडीगढ़, स्टेट ब्यूरो। पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ बैठक हुई तो थी तालमेल बिठाकर काम करने को लेकर, लेकिन दोनों के बीच खिंचाव जगजाहिर हो गया। सिद्धू ने बैठक करके एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की मगर फिर अपनी आदत के मुताबिक बैठक के एकदम बाद ट्विटर पर वह पत्र जारी कर दिया जो उन्होंने कैप्टन को दिया है। चारों कार्यकारी अध्यक्षों के साथ मुख्यमंत्री के कार्यालय में जाकर बैठक करके उन्होंने हाईकमान को यह संदेश तो दे दिया कि वह सरकार से सामंजस्य बिठाने का प्रयत्न कर रहे हैं, साथ ही कैप्टन पर दबाव बनाने की कोशिश भी कर डाली।
चूंकि आम तौर पर ऐसी बैठकों के एजेंडे सरकार व पार्टी की ओर से गोपनीय रखे जाते हैं, फिर भी सिद्धू का इसे सार्वजनिक कर देने का कदम तालमेल से काम करने वाला तो नहीं कहा जा सकता। वैसे तो सिद्धू ने अध्यक्ष बनने से पहले ही विधायकों, मंत्रियों व अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकातें शुरू कर दी थीं, लेकिन विधिवत पद संभालने के बाद मुख्यमंत्री से बैठक करना कहीं न कहीं यह संकेत भी देता है कि नए अध्यक्ष को यह अहसास है कि अगर साथ मिलकर नहीं चले तो पार्टी हाईकमान ने उनसे जो उम्मीदें लगा रखी हैं, वह पूरी होना मुश्किल होगा। सिद्धू ने पद संभालते ही यह एलान किया था कि वह हाईकमान की ओर से दिए गए 18 सूत्रीय एजेंडे पर काम करेंगे। एजेंडे में वही वादे हैं जो कांग्रेस ने पिछले चुनाव के वक्त किए थे। सिद्धू ने बेअदबी, नशा, बिजली समझौतों के जो मामले पत्र में बताए हैं, वह सरकार को ही हल करने हैं। इसलिए मुख्यमंत्री ने भी जवाब दे डाला कि जो मुद्दे सिद्धू ने उनके समक्ष रखे हैं, उनके हल के लिए सरकार पहले ही कदम बढ़ा चुकी है।
उन्होंने भी सिद्धू से कहा है कि सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाएं, यानी केवल सरकार की कमियों को उजागर न करें। हालांकि उन्होंने एक बार फिर लंबी लकीर खींचते हुए यह कहा कि राज्य व पार्टी के हित में उन्हें मिलकर काम करना होगा। इस तरह बैठक करने के लिए दोनों ओर से रुख में दिखाया गया लचीलापन पहले कांग्रेस हाईकमान के लिए बेशक कुछ सुकून देने वाला रहा हो, लेकिन बैठक के बाद जो हो रहा है उसे देखते हुए तो यही कहा जा सकता है कि दोनों के बीच वास्तव में कितना समन्वय हो पाता है, यह वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो इसके आसार कम ही नजर आते हैं।