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चूर हुआ लंकापति का अहंकार..

चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी की तरफ से टैगोर थिएटर सेक्टर-18 में आयोजित दो दिवसीय श्री रामलीला उत्सव के रावण-मेघनाद और रावण अहिरावण संवाद के साथ संपन्न हो गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 07:55 AM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 07:55 AM (IST)
चूर हुआ लंकापति का अहंकार..
चूर हुआ लंकापति का अहंकार..

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़

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चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी की तरफ से टैगोर थिएटर सेक्टर-18 में आयोजित दो दिवसीय श्री रामलीला उत्सव के रावण-मेघनाद और रावण अहिरावण संवाद के साथ संपन्न हो गया। रावण-मेघनाद संवाद को सेक्टर-8 स्थित सूर्यवंशी रंगमंच की तरफ से पेश किया गया। इसमें दिखाया गया कि भगवान श्रीराम के साथ युद्ध से पहले मेघनाद पिता रावण को समझाता है कि यह युद्ध लंकापति के वंश का अंत कर देगा, लेकिन रावण घमंड में चूर बेटे की भी नहीं मानता और युद्ध क्षेत्र में जाने की तैयारी करता है। युद्ध क्षेत्र में रावण का अंत होता है, जिसके बाद उत्सव का समापन हो गया।

इस मौके पर श्री बद्री केदार राम लीला सेक्टर-45-46 की तरफ से रावण अहिरावण संवाद को भी पेश किया गया। जहां पर दिखाया गया कि अहंकार बड़े से बड़े ताकतवर व्यक्ति का नाश कर देता है। सम्मानित हुए उत्सव में भाग लेने वाले कलाकार

दो दिवसीय उत्सव में भाग लेने वाले रामलीला कमेटी के कलाकारों को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया। कलाकारों के अलावा उन्हें तैयार करने वाले कास्ट्यूम और मेकअप आर्टिस्ट को भी उत्सव के दौरान सम्मानित किया गया। इस मौके पर चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के चेयरमैन अतुल शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति को बचाने के साथ उसे प्रमोट करने की दिशा में उत्सव का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि आगे भी इस प्रकार के आयोजन करने के प्रयास किए जाएंगे। लोगों को परंपरा और संस्कृति से जोड़ने में रंगमंच की अहम भूमिका रही है। आज के दौर के कलाकार इसी कोशिश में लगे हुए हैं।


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